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राजस्थान में कंपनी की संवेदनहीनता आई सामने, घर के साथ बच्ची को भी किया सीज

राजस्थान के जयपुर से एक फाइनेंस कंपनी की संवेदनहीनता का मामला सामने आयाहै. कंपनी के कर्मचारियों ने एक मकान को सीज करते समय घर में सो रही बच्ची को भी कैद कर दिया.

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Vineeta Mandal
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राजस्थान में कंपनी की संवेदनहीनता आई सामने, घर के साथ बच्ची को भी किया सीज

Rajasthan,( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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राजस्थान से एक फाइनेंस कंपनी की संवेदनहीनता का मामला सामने आयाहै. कंपनी के कर्मचारियों ने एक मकान को सीज करते समय घर में सो रही बच्ची को भी कैद कर दिया. कंपनी की संवेदनहीना का मामला शुक्रवार को बीजेपी के विधायक ने राजस्थान विधानसभा में उठाया. बताया जा रहा है कि जयपुर के एक मकान को फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी सीज करने गए थे, जिसमें उन्होंने पूरे परिवार को घर से बाहर निकाल दिया. परिवार वाले चिल्लाते रहे कि घर में बच्ची सो रही है लेकिन कर्मचारियों ने उनकी एक नहीं सुनी. बच्ची घंटों भूख और प्यास से तड़पती रही, जिसके बाद काफी कोशिश के बाद उसे घर से बाहर निकाला गया.

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बच्ची के दादा ओम प्रकाश ने बताया कि कोर्ट से स्टे होने के बावजूद अवैध तरीके से फाइनेंस कंपनी ने मकान को सीज कर दिया. कहा जा रहा है कि उन्होंने स्थानीय पुलिस प्रशासन से भी गुहार लगाई लेकिन किसी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद कलेक्टर से मिले निर्देश पर बच्ची को बाहर निकाला गया.

पुष्कर विधायक सुरेश रावत अपनी गाेद में 9 माह की बच्ची को लेकर विधानसभा में पहुंचे। पहले गलियारे, फिर सदन में मामला उठाते हुए बोले- अजमेर के रूपनगढ़ में नौ माह की बच्ची घर में सो रही थी और फाइनेंस कंपनी के लोगों ने मकान को सीज कर दिया. बच्ची की मां-दादा सहित अन्य परिजन चीखते-चिल्लाते रहे कि बच्ची को तो बाहर निकाला जाए, ताला खोला जाए, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई. परिजन पुलिस व एसडीओ के पास पहुंचे तो वहां भी सुनवाई नहीं हुई.

आखिरकार बाद में अजमेर कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा के पास गुहार लगाई. तब कहीं जाकर ताले खुलवाए और बच्ची को निकाला. बच्ची करीब 8 घंटे तक घर में और परिजन बाहर तड़पते रहे. गौरतलब है कि ये पहला मौका है, जब कोई विधायक इतनी कम उम्र के बच्चे को लेकर विधानसभा में पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई.

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स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि कमरे में बच्ची है तथा पुलिस की मौजूदगी में ताला लगा है तो गंभीर मामला है. इससे भी गंभीर यह है कि एसडीएम के नोटिस में लाने के बाद भी कलेक्टर के पास जाना पड़ा, मंत्री अफसरों पर सख्त कार्रवाई करें.

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