राजस्थान की गहलोत सरकार (Gehlot government ) ने तुगलकी फरमान जारी किया है. इसके तहत राज्य के थानों में धार्मिक कार्यक्रम नहीं होंगे. पुलिस थानों में किसी भी तरह के धार्मिक स्थल के निर्माण और पूजा पर रोक रहेगी. इस पर भाजपा ने गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी ने कहा कि यह धार्मिक आस्था पर आघात है. गहलोत सरकार तुष्टीकरण की नीति के तहत धार्मिक आजादी पर रोक लगा रही है. दरअसल, राजस्थान पुलिस मुख्यालय की ओर जारी एक आदेश ने गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
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पुलिस के इस आदेश के बाद राजस्थान का सियासी पारा गरमा रहा है और विपक्ष के निशाने पर गहलोत सरकार आ गए हैं. इस आदेश के तहत कहा गया है कि राजस्थान में पुलिस के विभाग के परिसरों में धार्मिक कार्यक्रम नहीं होंगे. पुलिस थानों में धार्मिक निर्माण भी नहीं होगा. पुलिस थानों में निर्माण के साथ पूजा भी नहीं होगी.
भाजपा ने आरोप लगाया है कि ये आदेश गहलोत सरकार की तुष्टिकरण की नीति का हिस्सा है. एक वर्ग को खुश करने के लिए फैसला लिया गया है. बीजेपी ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है. बीजेपी का कहना है कि जब सेना में भी धार्मिक स्थल होते हैं, सभी पूजा करते हैं तो पुलिस को क्यों रोका जा रहा है. हिंदू समुदाय के लिए पूजा के लिए मंदिर जरूरी है. उधर, कांग्रेस के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा इस सवाल के जवाब से बचते नजर आए. उनके पास कोई जवाब नहीं था.
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भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने इसे हिंदू विरोधी फरमान बताते हुए आदेश पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है. राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए किरोड़ी ने आरोप लगाया कि इससे कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा सामने आ गया है. उन्होंने सीएम अशोक गहलोत से सवाल करते हुए पूछा है कि आप तो स्वयं को गांधीवादी कहते हो तो गांधी जी अपने हर कार्यक्रम की शुरुआत रघुपति राघव राजाराम से करते थे. आपको मंदिरों से तकलीफ क्यों है? उन्होंने पुलिस की इस आदेश को तत्काल रद्द करवाने की मांग की है.