राजस्थान (Rajasthan Crisis) में सियासी घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है पहले कांग्रेस ने अपने विधायकों की बाड़े बंदी की उसके बाद शनिवार को बीजेपी ने भी अपने विधायकों को बाड़े बंदी के तहत गुजरात भेज दिया. अब बीजेपी खुद अपना ही कुनबा बचाने की कवायद में लगी है. शनिवार को बीजेपी ने अपने 18 विधायकों को तो गुजरात भेज दिया है, लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया (vasundhara raje scindia) खेमे के 6 विधायक राजस्थान से बाहर जाने को तैयार नहीं हैं. सूत्रों की मानें तो शनिवार को पूरे दिन हेलिकॉप्टर खड़ा रहा लेकिन राजस्थान के धौलपुर और झालावाड़ी के बीजेपी विधायकों ने राज्य छोड़कर बाहर जाने से इंकार कर दिया है. आपको बता दें कि धौलपुर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का क्षेत्र है और झालावाड़ वसुंधरा राजे का चुनावी क्षेत्र है. इन विधायकों के राज्य छोड़कर नहीं जाने को लेकर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये वसुंधरा के आदेश के बिना कहीं नहीं जाएंगे.
वसुंधरा राजे सिंधिया (vasundhara raje scindia) दिल्ली में लगातार सियासी बैठकें कर रही हैं. राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) से मुलाकात की. समझा जाता है कि दोनों नेताओं के बीच राजस्थान के राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई. राजे पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में हैं.
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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष से भी मुलाकात की थी. हालांकि, इन मुलाकातों के दौरान वसुंधरा की पार्टी नेताओं से क्या चर्चा हुई, इस पर आधिकारिक रूप से कोई सूचना नही दी गई है. वसुंधरा की ये मुलाकातें इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि पिछले महीने से शुरू हुए राजनीतिक संकट के दौरान वह जयपुर में हुई भाजपा की बैठकों से अलग रही हैं और उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे रखी. वो पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने का समय भी मांग रही हैं.
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अशोक गहलोत ने विधायकों को दी लोकतंत्र बचाने की दुहाई
रविवार को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने अपने सभी विधायकों से अपील है कि वो लोग लोकतंत्र को बचाने के लिए सीएम गहलोत पर विश्वास बनाए रखें. गहलोत ने अपने विधायकों के लिए एक और परामर्श देते हुए कहा कि हमें गलत परंपराओं से बचने के लिए आपको लोगों की आवाज सुननी चाहिए. आपको बता दें कि राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से आरंभ हो रहा है. संभावना है कि गहलोत इस दौरान विश्वास मत का प्रस्ताव ला सकते हैं. जानकारों का मानना है कि गहलोत के पास संख्याबल है और वे बहुमत साबित करने को लेकर आश्वस्त हैं. भाजपा का एक वर्ग कांग्रेस के बागी विधायकों के समर्थन से गहलोत सरकार को गिराना चाहता है, लेकिन सूत्रों की मानें तो वसुंधरा इसके पक्ष में नहीं हैं.