Rajasthan Water Crisis: राजस्थान में भीषण गर्मी का दौर जारी है. गर्मी ऐसी की पारा 50 डिग्री तक जा पहुंचा. राजस्थान की इस भीषण गर्मी में पीने के पानी की समस्या भी ख़डी हो गई है. हालात ये हैं कि राजस्थान के 71 फीसदी बांधों में पानी ना के बराबर है. राजस्थान के 688 बांधो में से 487 बाँध पूरी तरह सूख गए है सिर्फ़ राजस्थान के चार बाँध भरे हुए है जबकि 197 बाँध आंशिक भरे हुए है. पानी के हालात जानने के लिए न्यूज नेशन की टीम राजस्थान के टोंक जिले के बीसलपुर बाँध तक पहुंची जो चार जिलों के लिए लाइफलाइन कहा जाता है. यहां महज 27 फीसदी ही पानी बचा है. राजस्थान में इस बार अगर मानसून कमजोर रहा तो 21 शहरों और 2 हजार से ज्यादा गाँवों पर पेयजल संकट गहरा सकता है.
राजस्थान में चार जिलों की प्यास बुझाने वाली लाइफलाइन में बीसलपुर बाँध में 27 फीसदी पानी ही बचा है. जयपुर, दौसा, टोंक और अजमेर जिलों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर का जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है. इस बीच राजस्थान के 71 फीसदी बांधो में पानी ना के बराबर है. राजस्थान के 688 बांधो में से 487 बाँध पूरी तरह सूख गए है. सिर्फ़ राजस्थान के चार बाँध भरे हुए है जबकि 197 बाँध आंशिक भरे हुए है. राजस्थान की भीषण गर्मी में बीसलपुर बांध का जलस्तर लगातार गिर रहा है. बाँध में अब महज 27 फीसदी ही पानी बचा है. भीषण गर्मी और डिमांड के चलते हर दिन बाँध में 2 से 3 सेंटीमीटर पानी की मात्रा कम हो रही है.अक्टूबर -नवम्बर तक का पानी ही अब बाँध में बचा है.
बीसलपुर बांध से अजमेर को करीब 310 एमएलडी,
जयपुर को 505 एमएलडी जबकि टोंक को 48 एमएलडी, सुरजपुरा, दूदू,सांभर, मालपुरा को 52 एमएलडी, चाकसू, दौसा निवाई, दौसा को 51 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है. जलदाय विभाग 4 जिलों के 21 शहर और 2800 गांवों की प्यास बुझाता है. ऐसे में यदि इस साल अच्छी बारिश नहीं हुई राजस्थान के चारों 21 शहरों में पेयजल संकट गहरा सकता है.बीसलपुर से महज 10 से 12 किलोमीटर की दुरी पर स्थित टोड़ा रायसिंह कस्बे में ज़ब हम पहुंचे तो देखा कि महिलाएं और पुरुष पानी के लिए हाथ में मटके, प्लास्टिक की बाल्टी लेकर भीषण गर्मी में अपने घरों से दूर हैंडपंप पर जा रहे थे. पता चला जो बाँध चार जिलों के पीने के पानी की पूर्ती कर रहा है वो कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कस्बे के लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रहा. बड़ी बात ये थी कि ये वो क्षेत्र है जो राजस्थान के जलदाय मंत्री का गृह क्षेत्र है जहाँ से वो चुनाव लड़कर विधायक बने और राजस्थान सरकार में जलदाय मंत्री भी. लेकिन उन्ही के क्षेत्र के लोग पीने के पानी के लिए परेशान है. लोगों का कहना है कि पानी की सप्लाई कई कई दिन में होती है वो भी आधे घंटे के लिए इसीलिए मजबूरन उन्हें घर से दूर हैंडपंप से पानी लाना पड़ता है.
राजस्थान के टोंक जिले का बीसलपुर बांध राजधानी जयपुर समेत चार जिलों की लाइफलाइन कहा जाता है. यह बांध जयपुर, दौसा,टोंक, अजमेर, किशनगढ़, ब्यावर और जयपुर ग्रामीण समेत क्षेत्रों के लोगों की कई सालों से प्यास बुझा रहा है. बीसलपुर बांध की भराव क्षमता 315.50 आर एल मीटर है. इसमें 38.70 टीएमसी पानी संग्रहित होता है. इस संग्रहित पानी में से 16.2 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए आरक्षित है. जबकि बीसलपुर बांध की बाईं और दाईं बनी मुख्य नहर के माध्यम से 8 TMC पानी फसलों की सिंचाई के लिए छोड़ा जाता है. बीसलपुर बांध राजस्थान के बड़े बांधों में माना जाता है. इसमें बांध के कुल 18 गेट है. राजस्थान के कुल पानी की बात करे, तो महज 34 प्रतिशत पानी ही बांधों में बचा है. सबसे अधिक स्थिति जोधपुर संभाग की खराब है, जहां सिर्फ 9.53 प्रतिशत पानी की बचा है..
राजस्थान के 22 प्रमुख बांधों की 14 बांधों की स्थिति बहुत खराब है...राजस्थान में आने वाले दिनों जल संकट की स्थिति और बढ़ सकती है. बता दें कि जयपुर संभाग में 252 बांध हैं, 16.18% पानी है, जोधपुर के 116 बांधो में कुल 9.53%, कोटा के 80 बांधों में 56%, बांसवाड़ा के 59 बांधों में 37.01%, उदयपुर के 181 बांधों में कुल 21.64% पीनी ही बचा है...भीलवाड़ा जिले में स्थित मेजा डेम में मात्र 2.44% पानी बचा हुआ है. वहीं, पाली के सरदार समंद, जयपुर के कालख सागर, जयपुर के छापर वाडा, जयपुर के रामगढ़ बांध, भरतपुर के सीकरी बांध और टोंक जिले के टोरडी सागर बांध पूरी तरह से सुख गया है.
Source : News Nation Bureau