बाघों की अठखेलियों को लेकर विश्व पटल पर अपनी खास पहचान बना चुके राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क का उस्ताद टी 24 के बाद, एक और बाघ टी 104 इंसानी खून का प्यासा हो चुका है. रणथंभोर की लैला टी 41 का लाडला टी 104 महज आठ माह में तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. बीते दिन ही टी 104 ने करौली के कैलादेवी वन क्षेत्र में पिंटू माली नामक युवक को मौत के घाट उतार दिया . घटना के बाद से ही रणथंभौर , कोटा और जयपुर वन विभाग की
टीम टी 104 को ट्रंकुलाइज करने के लिये कड़ी मशक्कत कर रही है. मगर अभी तक टीम को सफलता नही मिल पाई है.
अपनी मां लैला टी 41 से अलग होने के बाद से ही टी 104 अपनी नई टैरेटरी की तलाश में दरबदर भटक रहा है. टी 104 ने पहला हमला 2 फरवरी 2019 को रणथंभोर की कुंडेरा रेंज में शौच के लिए गई पाडली गांव की मुन्नी देवी पर किया था. मुन्नी देवी को मौत के घाट उतारने के बाद टी 104 कुछ दिनों तक रणथभोर के जंगलों में टैरेटरी की तलाश में भटकता रहा और अन्य शक्तिशाली बाघों के दबाव के कारण आखिरकार इस बाघ ने कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया. यहां इसने दूसरा हमला कैलादेवी वन क्षेत्र की दुर्गेश घाटी में रूप सिंह नामक युवक पर किया.
यह भी पढ़ें: युद्ध से बचना चाहते हो तो POK हमारे हवाले कर दो, रामदास अठावले ने पाकिस्तान को दी नसीहत
रूपसिंह को मौत के घाट उतारने के बाद वन विभाग की टीम द्वारा टी 104 को ट्रंकुलाइज किया गया और एक बार फिर उसे रणथंभोर के जंगलों में छोड़ दिया गया, लेकिन टी 104 ज्यादा दिनों तक रंथम्भोर के जंगलों में नहीं ठहर पाया और इस बाघ ने एक बार फिर कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया. हालांकि इस दौरान वन विभाग की टीम द्वारा लगातार टी 104 की ट्रेकिंग की जा रही थी, लेकिन बीते दिन 12 सितम्बर 2019 को इस बाघ ने एक बार फिर पिंटू माली नामक युवक पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया. टी 104 अब तक तीन लोगो को मौत के घाट उतार चुका है. इसे देखकर तो यही लगता है कि टी 104 का स्वभाव उग्र हो चुका है और यह इंसानी खून का प्यासा बन चुका है.
टी 104 के स्वभाव में आये इस परिवर्तन को लेकर वन प्रशासन चिंतित है. हालांकि वाईल्ड लाईफ और एनटीसीए के विभागीय नियमों के अनुरूप अभी तक टी 104 को आदमखोर नहीं कहा जा सकता. विभागीय अधिकारियों की माने तो वन विभाग के नियमों के अनुरूप टी 104 अभी तक मैन हीटर नहीं है, बल्कि इसे मैन किलर कहा जा सकता है. मैन हीटर उस बाघ को कहा जाता है जो अपने पारम्परिक शिकार को छोड़कर इंसानों को चुन चुन कर मारे और जिसके इंसानी खून पुरी तरह से मुंह लग चुका हो. वहीं मैन किलर उस बाघ को कहा गया जिस बाघ के द्वारा परिस्थिति वश इंसानों पर हमला किया गया हो.
टी 104 द्वारा भलेही अब तक तीन लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका हो मगर वन विभाग के नियमानुसार विभागीय अधिकारी इसे अभी तक ना तो आदमखोर मान रहे है और ना ही मैन हीटर. टी 104 को अभी तक मैन किलर की श्रेणी में माना जा रहा है . विभागीय अधिकारियों के अनुसार टी 104 को जल्द ही ट्रंकुलाइज कर लिया जाएगा. विभागीय अधिकारियों के अनुसार टी 104 को इस बार रणथंभोर के आमली में बनाये गए एनक्लोजर में छोड़ा जाएगा, ताकि और कोई इंसान इसका शिकार ना बने.
टी 104 के स्वभाव में आये परिवर्तन को लेकर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि टी 104 अपनी नई टैरेटरी की तलाश में है लेकिन रणथंभोर में अन्य शक्तिशाली बाघों के कारण वो टैरेटरी बनाने में सफल नहीं हो पाया और टैरेटरी की तलाश में कैलादेवी वन क्षेत्र का रुख कर लिया. रणथंभोर के जंगलो से बाहर निकलने के बाद बाघ को आबादी क्षेत्रो के आस आस आसानी से शिकार मिलने के कारण यह बाघ अब जंगल की बजाय खुले खेतों और आबादी क्षेत्र की तरफ अधिक जा रहा है और इसी वजह से टी 104 अब तक तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है.
यह भी पढ़ें: एनसीपी को बड़ा झटका, शिवाजी के वंशज उदयनराजे भोंसले बीजेपी में शामिल
टी 104 के स्वभाव में आये बदलाव को देखते हुए ही वन विभाग द्वारा इसे इस बार आमली स्थित एनक्लोजर में रखने का निर्णय लिया गया है. ट्रेंकुलाइज होने के बाद इसे एनक्लोजर में छोड़ा जायेगा. गौरतलब है कि टी 104 से पूर्व रणथंभोर का उस्ताद कहे जाने वाले बाघ टी 24 ने भी 4 लोगो को मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद टी 24 को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायलोजिकल पार्क में छोड़ा गया था. उस्ताद टी 24 द्वारा पहला हमला 3 जुलाई 2010 घमंडी नामक युवक पर
किया गया था . उसके बाद 9 मार्च 2012 को अस्पाक नामक युवक पर , फिर 25 अक्टूबर 2012 को वनकर्मी घीसू सिंह व 8 मई 2015 को वन पहरी रामपाल सैनी पर हमला किया था.
उस्ताद टी 24 ने 4 लोगो को मौत के घाट उतार दिया था, जिसके बाद उसे आदमखोर मानते हुए वन विभाग द्वारा उदयपुर के सज्जनगढ़ बायलोजिकल पार्क शिफ्ट कर दिया गया. उस्ताद टी 24 के बाद बाघ टी 104 रणथंभोर का वो बाघ है जो अब तक तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. ऐसे में वन विभाग के पास टी 104 को एनक्लोजर में छोड़ने के शिवाय कोई दूसरा विकल्प नही है.
Source : लाल सिंह फौजदार