राजस्थान में बदल रहे हैं सियासी समीकरण, राजपा का बसपा में हुआ विलय प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, सियासी समीकरण तेजी से बन और बिगड़ रहे हैं. प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी यानि राजपा का आज पूरी तरह से बसपा से विलय हो गया है. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और आमेर से राजपा के विधायक नवीन पिलानियां ने आज अपने समर्थकों के साथ बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया है.
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किरोड़ीलाल मीणा के साथ बीजेपी में जाने से इन्कार करने वाले राजपा के इकलौते बचे विधायक नवीन पिलानियां ने आज बसपा का दामन थाम लिया. नवीन पिलानियां के बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के साथ ही प्रदेश में राजपा का वजूद खत्म हो गया है. किरोड़ीलाल मीणा के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन अपने सियासी समीकरणों के मद्देनजर नवीन पिलानियां चुनाव से ऐन पहले राजपा का साथ छोड़कर बसपा के साथ हो लिये हैं. नवीन पिलानियां के साथ ही उनके कई समर्थकों ने भी बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन की है. प्रदेश के दोनों प्रमुख सियासी दल कांग्रेस और भाजपा की बजाय बसपा के साथ जाने के सवाल पर नवीन पिलानियां ने कहा कि वे शुरु से ही तीसरे मोर्चे के हिमायती रहे हैं और राजपा में अकेले रहकर ज्यादा कुछ करने की गुंजाइश नहीं थी. पिलानियां ने कहा कि छोटे-छोटे राजनीतिक दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने से तीसरा मोर्चा कमजोर होता है, लिहाजा दूसरे दलों को भी बसपा के साथ आकर तीसरे मोर्चे को मजबूत करना चाहिये.
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पिछले विधानसभा चुनाव में राजपा के चार विधायक जीतकर आये थे. किरोड़ीलाल मीणा की अगुवाई में लड़े गये इस चुनाव में पार्टी 10 सीटों पर दूसरे और 33 सीटों पर तीसरे नम्बर पर रही थी. कुछ महीनों पहले किरोड़ीलाल मीणा अपनी विधायक पत्नी गोलमा देवी और सिकराय विधायक गीता वर्मा के साथ फिर से भाजपा में शामिल हो चुके हैं. लेकिन नवीन पिलानियां ने उस वक्त भाजपा में जाने से इन्कार कर दिया था. अब अपने विधानसभा क्षेत्र में एसटी-एसटी के वोट बैंक और सियासी समीकरण देखते हुये पिलानियां ने बसपा के साथ जाने का फैसला किया है. बसपा में शामिल होते ही
पिलानियां ने 15 नवम्बर को आमेर से पर्चा भरने का भी ऐलान कर दिया है. पिलानियां ने कहा कि मैं हमेशा से पिछड़ों और किसानों की पैरवी करता आया हूं और इसीलिये बसपा का दामन थामा है. उन्होंने कहा कि आमेर में हमेशा हाथी चढता आया है और इस बार भी वहां हाथी की आंधी आयेगी. वहीं 2008 के चुनाव के मुकाबले 2013 में कमजोर साबित हुई बहुजन समाज पार्टी भी प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग की कवायद में जुटी है और उसे उम्मीद है कि जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नवीन पिलानियां के साथ आने से उसे मजबूती मिलेगी.
साल 2008 में बसपा का वोट शेयर 7 प्रतिशत से ज्यादा था जो 2013 में घटकर 4.30 प्रतिशत रह गया. वहीं राजपा का वोट शेयर पिछले चुनाव में 4.24 प्रतिशत रहा था. अब नवीन पिलानियां को साथ लेकर बसपा इस वोट प्रतिशत को बढाने की कवायद करेगी. हालांकि पिछले चुनाव में राजपा का जो प्रदर्शन था वह किरोड़ीलाल मीणा की बदौलत था. अब नवीन पिलानियां बसपा को या बसपा नवीन पिलानियां को कितना फायदा कर पायेंगे ये देखने वाली बात होगी.
Source : लाल सिंह फौजदार