Advertisment

सचिन पायलट, 18 अन्य विधायकों को अयोग्यता के नोटिस से एक बार फिर विस अध्यक्ष की शक्तियों पर छिड़ी बहस

राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली याचिकाओं पर कार्रवाई के लिए संविधान के तहत विधानसभा अध्यक्ष को दी गई शक्तियों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है.

author-image
Deepak Pandey
New Update
sachin pilot ashok gehlot

सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली याचिकाओं पर कार्रवाई के लिए संविधान के तहत विधानसभा अध्यक्ष को दी गई शक्तियों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है. राजस्थान में विधानसभा अध्यक्ष ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई की और राज्य में 19 विधायकों से तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है. राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी पी जोशी ने बर्खास्त उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों को पार्टी द्वारा की गई शिकायत के आधार पर अयोग्य ठहराने के नोटिस भेजे हैं. बागी विधायकों को शुक्रवार तक इस पर जवाब देना है.

उच्चतम न्यायालय ने कई फैसलों में अध्यक्ष की शक्तियों पर अलग-अलग न्यायिक राय दी है जिसमें मामले में दखल देने से इनकार करने से लेकर खुद अध्यक्ष की भूमिका निभाने और संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत विधायकों को अयोग्य ठहराने तक के फैसले शामिल हैं. कुछ कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के 2011 में कर्नाटक मामले में दिए गए फैसले से पायलट समेत 19 विधायकों का मामला मजबूत हो सकता है.

उस समय शीर्ष न्यायालय ने अध्यक्ष द्वारा भाजपा के 11 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को रद्द कर दिया था, जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ बगावत कर दी थी. उच्च न्यायालय ने उनकी अयोग्यता का समर्थन किया था. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि चूंकि इन विधायकों को येदियुरप्पा पर भरोसा नहीं रहा तो इसका यह मतलब नहीं है कि अध्यक्ष के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति है.

वरिष्ठ वकील और संवैधानिक कानून विशेषज्ञ राकेश द्विवेदी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष का पायलट और अन्यों को दिया गया नोटिस स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और संविधान की दसवीं अनुसूची के दायरे से बाहर है. उन्होंने भाजपा में शामिल होने या समर्थन देने की इच्छा नहीं जताई है और न ही ऐसा किया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का विरोध करना और बदलाव के लिए कहना या कांग्रेस आलाकमान पर मुख्यमंत्री बदलने का दबाव डालने का मतलब पार्टी छोड़ देना नहीं है.

यह पूछे जाने पर कि क्या कोई राजनीतिक दल विधानसभा के बाहर की गतिविधियों के लिए अपने विधायकों को कानूनी तौर पर व्हिप जारी कर सकता है, इस पर वरिष्ठ वकील ने कहा, नहीं, व्हिप सदन के भीतर की गतिविधियों के लिए जारी किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठकों में शामिल न होना दबाव बनाने का हथकंडा और पार्टी के भीतर की गतिविधि है. अध्यक्ष ने गलती की और यह नोटिस उच्चतम न्यायालय के येदियुरप्पा मामले में दिए फैसले के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि हालांकि पार्टी पायलट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है.

द्विवेदी ने कहा कि मीडिया में ऐसी कोई खबर नहीं है कि पायलट पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं और सरकार गिराने के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं से मिले. इसके बजाय राजद्रोह जैसे अपराधों के लिए उपमुख्यमंत्री के खिलाफ पुलिस जांच की खबरें जरूर हैं. हालांकि कुछ विरोधाभासी विचार भी हैं जिनमें कहा गया है कि अध्यक्ष के पास विधायकों की दल-बदल विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए 10वीं अनुसूची के तहत पर्याप्त और व्यापक शक्तियां हैं.

एक अन्य वरिष्ठ वकील अजित सिन्हा ने कहा कि सदन का प्रमुख होने के नाते अध्यक्ष के पास अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी करने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि जहां तक नोटिस का संबंध है तो अध्यक्ष के पास अधिकार है. जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है वे यह दावा कर सकते हैं कि अध्यक्ष सदन के बाहर की गतिविधियों के लिए उन्हें अयोग्य नहीं ठहरा सकते लेकिन नोटिस जारी करने को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय अयोग्य ठहराने के मामलों में अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप करने को लेकर काफी सतर्क रहे हैं. संविधान में दल बदलने के लिए अयोग्य ठहराने के नियम पर अध्यक्ष को व्यापक अधिकार दिया गया है.

हाल के कर्नाटक संकट में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) के 15 बागी विधायकों को राज्य विधानसभा के सत्र की कार्यवाही में भाग लेने के लिए विवश नहीं करना चाहिए और उन्हें यह विकल्प देना चाहिए कि वे कार्यवाही में भाग लेना चाहते हैं या नहीं. हालांकि उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ‘‘उचित समय सीमा’’ के भीतर 15 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेंगे. कुछ ऐसी घटनाएं भी रही हैं जब उच्चतम न्यायालय ने ऐसी याचिकाओं पर फैसला लेने में अध्यक्ष की ओर से हुई देर पर संज्ञान लेते हुए खुद अध्यक्ष की भूमिका निभाई.

Source : Bhasha

cm-ashok-gehlot rajasthan sachin-pilot Speaker
Advertisment
Advertisment