राजस्थान सियासी संकट के दौरान सोमवार की शाम को कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर आई है. राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin pilot) भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता नहीं लेंगे. आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा था. आपको बता दें कि रविवार की रात को सचिन पायलट ने गहलोत सरकार के अल्पमत में होने का दावा ठोक दिया था. उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने रविवार रात दावा किया कि 30 से अधिक कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों ने उन्हें समर्थन देने का वादा किया है.
एक अधिकारिक बयान में पायलट ने कहा कि वह सोमवार को होनेवाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे. बयान के अनुसार,राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट सोमवार को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे. पायलट ने कहा कि 30 से अधिक कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों द्वारा उन्हें समर्थन देने के वादे के बाद अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है.
शनिवार को किया गया था गहलोत सरकार को अस्थिर करने का प्रयास
शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से सरकार को भाजपा द्वारा अस्थिर करने के प्रयास का आरोप लगाने के बाद राजनीतिक संकट के बीच पायलट की यह पहली प्रतिक्रिया है. यह आरोप लगाया गया था कि भाजपा मध्यप्रदेश की तर्ज पर सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है, जबकि पार्टी के विधायक और निर्दलीय विधायक गहलोत के नेतृत्व में विश्वास प्रकट करने के लिये उनके निवास पर मुलाकात कर हैं. पायलट के समर्थक माने जाने वाले कुछ विधायकों के शनिवार को दिल्ली में होने के वजह से गुटबाजी की चर्चा को हवा मिली थी.
सिंधिया से मुलाकात के बाद बदले पायलट के तेवर
अशोक गहलोत से नाराज सचिन पायलट अलग राह पर चलने का मूड बना रहे हैं. अपने पुराने दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया से सचिन पायलट ने रविवार को मुलाकात की. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रविवार दोपहल दोनों के बीच करीब 40 मिनट बातचीत हुई.ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने के बाद सचिन पायलट ने बागी तेवर अपनाते हुए कहा कि अशोक गहलोत की सरकार अल्पमत में है. उन्होंने दावा किया कि 30 कांग्रेसी और निर्दलीय विधायक उनके पक्ष में हैं.