राजस्थान: सुदर्शन चक्र कोर ने रात्रि में दुश्मन के ठिकानों को बनाया निशाना

साउथ आर्मरी डेमोंस्ट्रेट्स IEP डीप स्ट्राइक दक्षिणी सेना की स्ट्राइक कोर राजस्थान के खुले रेगिस्तानों में सिंधु सुदर्शन आयोजित कर रही है, जिससे रेगिस्तान और अर्ध विकसित इलाकों में एक तेज, तीव्र और गहरी हड़ताल को अंजाम देने के लिए अपने लड़ाकू कौशल को

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Vineeta Mandal
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राजस्थान: सुदर्शन चक्र कोर ने रात्रि में दुश्मन के ठिकानों को बनाया निशाना

Indian Army( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

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साउथ आर्मरी डेमोंस्ट्रेट्स IEP डीप स्ट्राइक दक्षिणी सेना की स्ट्राइक कोर राजस्थान के खुले रेगिस्तानों में सिंधु सुदर्शन आयोजित कर रही है, जिससे रेगिस्तान और अर्ध विकसित इलाकों में एक तेज, तीव्र और गहरी हड़ताल को अंजाम देने के लिए अपने लड़ाकू कौशल को बेहतर बनाया जा सके. लगभग 40,000 सैनिक, '700 x ately ए ’वाहन और दक्षिणी कमान के सुदर्शन चक्र कोर के 300 एक्स बंदूकें राजस्थान के रेगिस्तान में बड़े पैमाने पर अभ्यास कर रहे हैं, जो एक एकीकृत वायु भूमि युद्ध के हिस्से के रूप में बड़े पैमाने पर आक्रामक युद्धाभ्यास करने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं.

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युद्भयास के दौरान युद्ध क्षेत्र में पारदर्शिता और स्थितिजन्य जागरूकता प्राप्त करने के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी का तालमेल किया जा रहा है. इस एक्सरसाइज में इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पॉड्स, हेल्मेट माउंटेड और नाइट विज़न गॉगल्स से लैस नए शामिल सशस्त्र हेलीकॉप्टर रुद्र को मशीनीकृत संरचनाओं के मैनोव्स के साथ एकीकृत किया जा रहा है.

हाल ही में शामिल किए गए 155 मिमी K9 वज्र को तेजी से गतिशीलता, त्वरित तैनाती और सटीक आग की उच्च दरों के साथ संपन्न किया गया है. इसे अन्य मशीनीकृत तत्वों के परिचालन युद्धाभ्यास के साथ एकीकृत करके वैध माना जा रहा है.

सेना आजमा रही है युद्ध की नई रणनीति समय-समय पर भारतीय सेना अपनी युद्ध रणनीति में बदलाव करती रहती है. वर्तमान में तैयार की गई नई रणनीति के तहत महज 48 घंटों ने जबरदस्त प्रहार के साथ आगे बढ़ते हुए दुश्मन के बड़े भूभाग पर कब्जा जमाने की नई रणनीति तैयार की गई है. इसे परखने के लिए भारतीय सेना की 21 स्ट्राइक कोर के चालीस हजार से अधिक जवान व अधिकारी थार के रेगिस्तान में कई दिन से पसीना बहा रहे है.

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दिसम्बर के अंत तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास की आज रात सेना ने बाड़मेर सीमा पर कौशल दिखाया. इसके साथ वायुसेना भी संयुक्त रूप से युद्धाभ्यास में अपनी क्षमताओं का एकीकृत प्रदर्शन कर रही है.

इंटीग्रेटेड फायर पावर के तहत आसमां से लेकर जमीनी हमले करने में सक्षम खास हथियार अपनी ताकत दिखाई जा रही है. इस अभ्यास में ऑर्टिलरी, आर्म्ड और मैकेनाइज्ड फोर्सेज, आर्मी एयर डिफेंस, आर्मी एविएशन के अटैक हेलिकॉटर रूद्र एयरफोर्स संसाधनों के साथ स्पेशल फोर्सेस के बीच सहज तालमेल का प्रदर्शन किया जा रहा है. युद्याभ्यास में बोफोर्स,टैंक90,के9, एम122 ग्रेड रॉकेट लॉन्चर ने अपनी ताकत दिखाई.

भारतीय सेना समय-समय पर इस तरह के युद्धाभ्यास करती रहती है. इन युद्धाभ्यास के माध्यम से सेना अपनी विभिन्न इकाइयों के साथ ही एयर फोर्स के साथ आपसी तालमेल को परखती है. सैन्य विशेषज्ञ लगातार प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखते है और वे अंक प्रदान करते है.

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इसके बाद सभी विशेषज्ञ साथ में बैठ आपस में अपने विचार साझा करते है. इसके बाद इनमें सामने आई कमियों को अगले दिन दूर कर फिर से नए सिरे से युद्धाभ्यास किया जाता है. साथ ही प्रत्येक दिन दुश्मन की लोकेशन के साथ अलग-अलग फोरमेशन के साथ हमला करने का अभ्यास किया जाता है. चालीस हजार से अधिक जवान व अधिकारी करीब दो माह तक अभ्यास कर अपनी क्षमता को आकलन करेंगे.

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