तेज आंधी और तूफान ने किसानों पर फिर से कहर बरपाया है. किसानों के सारे अरमान बारिश में बह गए. महकमे अभी तक मौन है. सबका पेट भरने वाला किसान खुद आंखों में आंसू लिए बैठा है. किसान की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है. सरकार के कारिंदे अभी तक बेखबर है. प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे किसान की कोई नहीं सुन रहा है. कोटा जिले में 16 अप्रैल का दिन किसानों के लिए काला दिवस साबित हुआ. चारों तरफ घनघोर काली घटाओं ने किसानों की उम्मीदों पर काली चादर डाल दी.
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भामाशाह मंडी परिसर में खुले में पड़ा किसानों का अनाज कुदरत के कहर का ग्रास बन गया. किसानों का माल यदि उनके लिए मंडी परिसर में बनाए गए शेड में रखा होता तो शायद सुरक्षित रहता, लेकिन मंडी समिति की लापरवाही और व्यापारियों की दादागिरी के चलते आखिर में गरीब किसान का ही मरण हुआ. किसानों का लगभग 1 लाख अनाज की बोरी भीग गया. लाचार किसान अब केवल अपनी किश्मत को कोस रहा है. 16 अप्रैल को तेज आंधी और तूफान ने पूरे देश में तबाही ला दी थी. देश में कल आंधी से 36 लोगों की मौत हो गई. कई राज्यों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है.
Source : Niyaz Mohammed