भीलवाड़ा में कोरोना वायरस के मामले जब सामने आने लगे तो पूरे देश में हड़कंप मच गया था. एक के बाद एक मामले सामने आने के कारण ऐसा लगने लगा था कि भीलवाड़ा दूसरा इटली बनने जा रहा है लेकिन पूरे शहर में कर्फ्यू लगाकर बॉर्डर सील कर दिया गए. घर-घर जाकर लोगों की जांच करने के लिए 15 हजार से अधिक डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की टीम लगाई गई. इससे यहां कोरोना पीड़ितों का आंकड़ा 27 पर ही रोक दिया गया. अब इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है.
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दरअसल जब भीलवाड़ा में कोरोना के मामले सामने आए तो इन मरीजों की जांच करने वाले कई स्वास्थ्यकर्मियों को भी कोरोना हो गया. ऐसे में इश बात को लेकर हड़कंप मच गया कि इन डॉक्टरों ने जिन मरीजों को देखा होगा उन्हें भी कोरोना हो गया होगा. इसके बाद राजस्थान सरकार ने भीलवाड़ को कोरोना से मुक्त करने के लिए अभियान चलाया. पूरे जिले का बॉर्डर कर्फ्यू लागू कर सील कर दिया गया. 15 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों की टीम को भीलवाड़ा भेज घर-घर जाकर जांच शुरू कराई गई.
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हर घर की हुई स्क्रीनिंग
कोरोना से शहर को मुक्त कराने के लिए हर घर की स्क्रीनिंग शूरु कराई गई. पूरे शहर में लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया गया. जानकारी के मुताबिक जिले से 18 लाख लोगों की स्क्रीनिंग कराई गई. सरकार की ओर से शहर के सभी स्कूल, रिजॉर्ट, प्राइवेट हॉस्पीटल और होटल को अधिगृहित कर लिया. जिन लोगों में जुकाम के भी लक्षण दिखे उन सभी को क्वारेंटाइन कर लिया गया. फिलहाल भीलवाड़ा के 27 में से 20 मरीज पूरी तरह ठीक होकर घर जा चुके हैं.
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देशभर में हो सकता है लागू
रविवार को राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी. इसमें कैबिनेट सचिव गौबा ने कोरोना से बचाव के लिए भीलवाड़ा में किए गए उपायों की तारीफ करते हुए इस मॉडल को देशभर में लागू करने के संकेत दिए.
Source : News State