उदयपुर जिले में आने वाले दो महीने तक किसी सार्वजनिक स्थान पर किसी धर्म से संबंधित झंडे-झंडियां जिला प्रशासन की अनुमति के बिना नहीं लगाए जा सकेंगे. शहर के सभी सरकारी भवन, पार्क या चाैराहों पर कहीं झंडिया या अन्य कुछ नजर आया तो सीधे कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस निर्देश को लेकर जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने बुधवार को आदेश जारी कर निषेधाज्ञा लागू की है. जिला कलक्टर मीणा के इस आदेश को गत 23 मार्च को गांधी ग्राउंड में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की धर्मसभा और उनके बयान के बाद कुंभलगढ़ में भगवा झंडियों के साथ 5 युवकों की गिरफ्तारी से जोड़ा जा रहा है.
कुंभलगढ़ किले में एक विशेष रंग के झंडों की जगह भगवा झंडे लगाने के बयान पर पुलिस ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने सहित विभिन्न धाराओं में हाथीपोल थाने में मुकदमा दर्ज किया था. बयान के बाद कुंभलगढ़ किले पर भगवा झंडे लेकर पहुंचे 5 युवकों को भी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया था. मुकदमे और गिरफ्तारी को लेकर की हिंदू संगठनो द्वारा प्रदर्शन किया गया था. उसके बाद न्यायालय द्वारा जमानत पर इन्हें रिहा किया जा चुका है, वही शास्त्री पर दर्ज मुकदमे के बाद हिंदू संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं.
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ऐसे में आशंका जाहिर की गई कि कुछ लोग विधानसभा चुनाव से पहले धर्म विशेष के झंडे अन्य धार्मिक स्थलों-भवनों पर फहराकर सद्भाव बिगाड़ सकते हैं. इसी के मद्देनजर उदयपुर जिला कलेक्टर ने धारा 144 लागू की है. हालांकि कलेक्टर ताराचंद मीणा का कहना कि निषेधाज्ञा का पं.शास्त्री या अन्य किसी से भी कोई लेना-देना नहीं है. वे बागेश्वर धाम की सभा से पहले ही निषेधाज्ञा लागू करने वाले थे, जिसे अब लागू किया गया है.
वहीं हम अगर आम जन की बात करें तो इस आदेश को लेकर समूचा शहर आश्चर्यचकित है. दोनों धर्मों के प्रमुख लोगों द्वारा इसको लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी गई, कहीं इसका विरोध किया जा रहा है तो कहीं कांग्रेस की सरकार का मुस्लिमों के प्रति तुष्टिकरण की राजनीति से देखा जा रहा है. जिला प्रशासन कैमरे पर आकर किसी भी प्रकार की बातचीत से आनाकानी कर रहा है। वही पुलिस द्वारा इसको लेकर पूरी तैयारी की जा चुकी है.
Source : News Nation Bureau