इसे आस्था का चमत्कार कहे या फिर विज्ञान की अनसुलझी गुत्थी. जिस काले नाग को देखते ही लोग डर जाते हैं और जिसका काटा पानी नहीं मांगता. उसी काले नाग को अपने हाथों मे लेकर अपनी ही जीभ को कटवाते हैं. अगर कोई इसे देखे तो आश्चर्यचकित होना लाजमी है. जीभ को कांटने के बाद लहुलुहान होने के कुछ ही मिनटों मे वह व्यक्ति बिना किसी ईलाज के लोगों के बीच स्वस्थ हालत में झूमने लगता है. टोंक मे ढाई दशक से यह चमत्कार निरन्तर जारी है. सुरेली गांव के वीर तेजाजी मेले में यह सब हजारों लोगों के सामने होता है. यह चमत्कार जिसे देखने टोंक जिला से ही नहीं, बल्कि राजस्थान के कई जिलों के लोग हर साल यहां आते हैं.
यह भी पढ़ें - एक और सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर पानी की मनमानी तक की खबरें, एक Click पर
आपने कालबेलिया जाति के लोगों को काले सर्प का खेल और उसके साथ करतब के नजारे खूब देखे होंगे. टोंक के सुरेली गांव मे हर साल लोग देवता तेजाजी के पर्व तेजा दशमी पर ऐसा चमत्कार दिखाते हैं. जिस पर यकीन करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. जिले के सुरेली गांव मे हजारों लोगों की मौजूदगी में गांव के तेजाजी के मन्दिर पर पहले काले सांप के साथ तेजाजी का घोडला अठखेलिया करता है और उसके बाद मेले के बीच मे ही घेडला अपनी जीभ को काले सर्प के आगे कर देता है. उसके बाद वो होता है जिसको आस्था का चम्तकार ही कह सकते हैं. काला सर्प के घोडले की जीप के कांटने के बाद भी उसका कुछ नहीं बिगड़ता ओर घोडला होता है जनता के बीच.
यह भी पढ़ें - अखिलेश यादव बोले- बड़ी पार्टियों से गठबंधन का देख चुके हैं अंजाम, 2022 का चुनाव अकेले लड़ेंगे
पूरे मेले में तेजाजी महाराज के जयकारे गूंजने लगते हैं, यह चमत्कार इस साल ही नहीं बल्कि पिछले 23 सालों से लगातार जारी है. सबसे पहले गांव में किसी के सांप से कांटने के बाद किसी की मौत हो जाने पर गांव में किसी को तेजाजी ने सपने में आकर मन्दिर बनाने को कहा और उसके बाद गांव में आज तक किसी की सांप के ढंसने से मौत नहीं हुई. उसके बाद से आज तक मेले में हर साल हजारों की भीड़ जुटती है और सांप द्वारा घोडले की जीभ को काटा जाता है. गांव मे कुछ दिनों पुर्व तेजाजी किसी के शरीर मे आकर अपना स्थान बताते हैं. भाद्रपद की पंचमी को सर्प को मेले के लिए आमंत्रित किया जाता है. भाद्रपद की नंवमी को सांप प्रकट होकर दर्शन देता है और गांव में काले सर्प जिसे लोग तेजाजी का अवतार मानते हैं.