Coronavirus (Covid-19): केरल में एलडीएफ सरकार प्रवासी मजदूरों को मनोरंजन के लिए टेलीविजन के अलावा कैरम एवं शतरंज जैसे घर में खेले जा सकने वाले खेल और मोबाइल फोन रिचार्ज कराने समेत कई सुविधाएं मुहैया कराकर देश के अन्य राज्यों के लिए उदाहरण पेश कर रही है. देश के कई राज्यों में प्रवासी मजदूर उन्हें मुहैया कराई जा रही सुविधाओं के अभाव से परेशान हैं लेकिन इसके विपरीत केरल में 19,764 शिविरों में रह रहे 3.5 लाख से अधिक प्रवासी कर्मियों को इस प्रकार की कोई शिकायत नहीं है और वे इन शिविरों में रह कर कोरोना वायरस महामारी के समाप्त हो जाने का इंतजार कर रहे हैं. केरल में प्रवासी मजदूरों को ‘मेहमान मजदूर’ के नाम से जाना जाता है.
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श्रम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कर्मियों के लिए पेयजल एवं खाना पकाने की सुविधाओं जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है. जो लोग चपाती एवं सब्जी खाना पसंद करते हैं, उन्हें वह मुहैया कराया जा रहा है. शिविरों में दूध भी उपलब्ध कराया जा रहा है.' उन्होंने कहा, 'इसके अलावा कर्मियों के लिए सामुदायिक रसोइयों से भोजन भी उपलब्ध कराया जा रहा हैं. यदि वे स्वयं खाना बनाना चाहते हैं तो इसकी व्यवस्था भी की गई है.'
राज्य सरकार विभिन्न भाषाओं में पोस्टर जारी करके, घोषणाएं करके और वीडियो संदेश के माध्यम से ‘मेहमान मजदूरों’ को कोविड-19 के बारे में जागरुक कर रही हैं और उन्हें सामाजिक दूरी एवं स्वच्छता की महत्ता समझा रही है. अधिकतर प्रवासी मजदूरों को बंद समाप्त हो जाने के बाद अपने परिवार से मिलने की उम्मीद है लेकिन वे भविष्य में अपने रोजगार को लेकर भी चिंतित हैं.
तिरुवनंतपुरम के एक स्कूल में बनाए गए अस्थायी शिविर में रह रहे एक प्रवासी कामगार बाबू लाल ने कहा, 'मैं वर्षों पहले महाराष्ट्र से केरल आया था. मेरा पूरा परिवार वहां है. मैं साल में एक बार वहां जाता हूं. यह संकट आने से पहले सब ठीक था.' उसने बताया कि शिविर में कर्मियों को नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम को फिर नाश्ता और रात में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और वे सभी सामाजिक दूरी बनाए रखने संबंधी नियमों का पालन कर रहे हैं. उसने कहा, 'यह सब समाप्त होने के बाद मैं परिवार के पास जाऊंगा, लेकिन महाराष्ट्र जाने से पहले मुझे यहां एक-दो महीने काम करके कुछ बचत करनी होगी.'
ओडिशा से आए एक अन्य प्रवासी कर्मी गौतम ने कहा, 'मैं केरल के विभिन्न होटलों एवं रेस्तरां में करीब एक दशक से काम कर रहा हूं. काम सुबह जल्दी शुरू हो जाता है और रात में देर तक चलता है. अब होटल बंद है और हम इस शिविर में हैं. हमारे पास कोई काम नहीं है लेकिन खाने के लिए भोजन और रहने का स्थान है. टीवी भी उपलब्ध है.' गौतम सरकारी स्कूल में बने जिस शिविर में है, उसमें कम से कम 215 प्रवासी कर्मी हैं. इस शिविर में दो टेलीविजन और केबल कनेक्शन उपलब्ध है.
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उत्तर प्रदेश के प्रेम कुमार ने कहा, 'हम यहां खाली बैठे हैं. हमारे पास आय का कोई साधन भी नहीं है. मुझे नहीं पता कि यह समाप्त होने के बाद हमारी नौकरियां बची होंगी या नहीं. हमें अपने परिवार को भी धन भेजना है.' शिविरों में यदि कोई बीमार पड़ता है तो उसे निकट के सरकारी अस्पताल ले जाने की भी सुविधा है. राज्य ने इन मजदूरों के लिए श्रम आयुक्त प्रणब ज्योतिनाथ की अध्यक्षता में एक त्वरित कार्रवाई दल नियुक्त किया है. जिला स्तर की एक टीम श्रमिकों के शिविरों का निरीक्षण करती है.