कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डी के शिवकुमार की जमानत अर्जी पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डी के शिवकुमार की जमानत अर्जी पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और राउंज एवेन्यू कोर्ट अपना फैसला कुछ ही देर में फैसला सुनाएगा.

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Vikas Kumar
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दिल्ली (Delhi) के राउंज एवेन्यू कोर्ट में कर्नाटक (Karnataka) कांग्रेस नेता डी. के शिवकुमार (Congress Leader D K Shivkumar) की जमानत याचिका पर सुनवाई आज शुरू हो गई है. इसके पहले डी के शिवकुमार की जमानत की अर्जी (Bail Application) की सुनवाई गुरुवार के लिए स्थगित कर दी है. दिल्ली के राउंज एवेन्यू कोर्ट में इसकी सुनवाई थी, अब बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

मनी लांड्रिंग मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार (DK Shivkumar) को दिल्ली (Delhi) की राउज़ एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. कोर्ट ने आदेश दिया था कि जेल भेजने से पहले उन्हें अस्पताल ले जाकर उनका पूरा चेक अप करवा दिया था.

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एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज जिरह कर रहे है. उन्होंने कहा कि हम गैरकानूनी तरीके से हासिल पैसे की जांच कर रहे है, सिर्फ टैक्स चुका देने से काला धन, सफेद नहीं हो जाता. प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत सरकार को ग़लत तरीके से हासिल की गई प्रोपर्टी को जब्त करने का हक है, क्योंकि आखिरकार वो देश की प्रॉपर्टी है. PMLA एक्ट के तहत हर किसी को मौका दिया जाता है कि वो अपनी आय के सोर्स का खुलासा कर सके. लेकिन शिवकुमार सवालो से बचते रहे , उन्होंने जाँच में सहयोग नहीं दिया. जब उनसे खेती की जमीन की बारे में सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी पता न होने की बात कहकर टाल दिया.

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ASG ने आगे कहा कि हमें मामले को उसके तार्किक अंत तक ले जाने की जरूरत है. इस मामले में  800 करोड़ रुपये तक की प्रॉपर्टी  हो सकती है.जांच को आगे बढ़ाने के लिए  डीके शिवकुमार के खिलाफ ठोस सबूत हैं.

ये एक गम्भीर आर्थिक अपराध है, ऐसा अपराध देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है. ऐसे अपराध अर्थव्यवस्था को असंतुलित कर सकते है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते है. इनसे सख्ती से निपटने की जरूरत है.

एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज के मुताबिक, डी के शिवकुमार को जमानत नहीं दी जानी चाहिए.

जबकि डी के शिवकुमार की ओर से सिंघवी ने ये बातें रखीं-

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अभी सिर्फ जमानत अर्जी पर जिरह हो रही है, इस स्टेज पर केस की मेरिट पर जाने की ज़रूरत नहीं. एजेंसी की मंशा बड़े-बड़े आंकड़े दिखाकर जज को प्रभावित करने की है, हर दिन पैसा बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है.

पिछले 22 दिनों से मुझसे हर रोज 9 घन्टे पूछताछ हो रही है. अगर मैं पूछताछ में इनके कहे के मुताबिक, अपना गुनाह नहीं कबूल रहा तो ये आरोप लगा रहे है कि मैं (शिवकुमार) सवालों से बच रहा हूं. डी के शिवकुमार के अलावा उनकी बेटी ऐश्‍वर्या भी जांच के घेरे में आ गई हैं. बताया जा रहा है कि ऐश्‍वर्या के पास 108 करोड़ रुपये की संपत्‍ति है.

डी के शिवकुमार की ओर से सिंघवी ने दलील दी है कि मेरे मुवक्किल के दादा ने 1960- 70 के दशक में प्रॉपर्टी खरीदी. PMLA एक्ट 2002 में पास हुआ. इनकम टैक्स की रेड और जांच 2002 में शुरू हुई . ED की कार्रवाई से ऐसा लगता है जैसे कल किया कोई अपराध आने वाले कल के कानून के दायरे में आएगा. हर एक पैसे का लेन देन मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में नहीं आता. लेबर और MSME में पैसों का लेनदेन कैश में होता है और इसमे कुछ गलत नहीं. एक compoundable offence के लिए ED दावा कर रही है कि मेरे मुवक्किल ने देश की अर्थव्यवस्था के ढांचे को हिला दिया है. 

इसके अलावा सिंघवी ने कहा कि राजेन्द्र ( कर्नाटक भवन के पूर्व स्टाफ ) के पास से मिली डायरी, नोट शीट का मुझसे कोई लेना देना नहीं है. राजेन्द्र तो वैसे भी IT को दिए अपने बयान से पलट गया. मुझसे सिर्फ 41 लाख की रकम बरामद की गई, फिर ये 143 करोड़ की रकम कहाँ से आ गई. विधानसभा चुनाव के वक्त दाखिल हलफनामे में दिखाई गई सम्पतियों में मैंने कोई हेरफेर नहीं किया है, लेकिन मार्किट वैल्यू अलग होने के चलते उनकी कीमत अलग है. ये मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में नहीं आता. मेरी बेटी के नाम पर 108 करोड़ की कीमत का खुलासा चुनावी हलफनामे में किया गया है. ED जिन 317 बैंक खातों के हवाला दे रही है, वो कहाँ है.

सिंघवी ने बताया कि शिवकुमार के सिर्फ 20 खाते है. अगर एक भी इनके अलावा 21 वां खाता आप दिखा दो तो मैं अपनी दलीले बन्द कर दूंगा.

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शिवकुमार की ओर से सिंघवी ने कहा कि अगर इन्हें लगता है कि मैं  कानून से भाग सकता हूं, तो कोर्ट ज़मानत देते वक्त मुझ पर शर्ते लगा सकता है. यहां तक कि अगर ED मुझसे हर रोज मुलाकात करना चाहता है, तो मै इसके लिए भी तैयार हूँ. इसके पहले डी के शिवकुमार को मनी लांड्रिंग केस में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था जिसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था.

1.30 Am: सिंघवी के बाद अब डी के शिवकुमार की ओर से मुकल रोहतगी ने दलीलें पेश कीं-

रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि मेरे मुवक्किल की समाज में अपनी एक प्रतिष्ठा है। वो सात बार विधायक रह चुके है. ख़ुद कानून इस बात को मानता है कि बेल नियम है, जेल अपवाद है. कोर्ट को ये ध्यान रखना चाहिए. इस केस में ECIR 2017 में की गई रेड पर आधारित है. रेड में मेरे घर से जो मिला है, वो सिर्फ 41 लाख है. जांच इसी दायरे में रहनी चाहिए.

रोहतगी ने आगे कहा, अभी जेलो में जो भीड़ है, वो कोर्ट के सामने एजेंसियों के इसी रवैये के चलते है. उनको कभी लगता है कि चिंदबरम कानून से भाग जायेगे, कभी शिवकुमार रोहतगी की दलील पूरी।
इसके बाद दयाकृष्णन अपीन दलीलें रखेंगे.

HIGHLIGHTS

  • दिल्ली के राउंज एवेन्यू कोर्ट में डी के शिवकुमार की बेल एप्लीकेशन की सुनवाई जारी. 
  • इसके पहले डीके शिवकुमार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. 
  • एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने बेल न देने की मांग रखी है. 

Source : Arvind Singh

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