कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को होने वाला उपचुनाव सीएम बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) नीत बीजेपी सरकार की किस्मत तय करेगा. हालांकि, उपचुनाव में राजनीतिक दलों को कम वोटिंग होने की संभावना है. भाजपा को राज्य की सत्ता में बने रहने के लिए 225 सदस्यीय विधानसभा (स्पीकर सहित) में 15 सीटों (जिन पर उपचुनाव हो रहे हैं) में से छह सीटें जीतने की जरूरत है. चुनाव अफसरों ने कहा कि गुरुवार सुबह सात से शाम छह बजे तक मतदान होगा. इसके लिए सारी तैयारी कर ली गई है.
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कर्नाटक में अठानी, कगवाड़, गोकक, येलापुर, हिरेकेरूर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबेलापुर, केआर पुरा, यशवंतपुरा, महालक्ष्मी लेआउट, शिवाजीनगर, होसाकोटे, केआर पेटे, हुनसूर सीटों पर उपचुनाव होंगे. कर्नाटक उच्च न्यायालय में मई 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजे को लेकर दायर मुकदमे की वजह से मुसकी (राइचुर जिला) और आरआर नगर (बेंगलुरू) के उपचुनाव पर रोक लगा दी गई है.
17 विधायकों को अयोग्य करार देने से पैदा हुई रिक्तियों को भरने के लिए ये उपचुनाव हो रहे हैं. इन विधायकों में कांग्रेस और जद(एस) के बागी नेता शामिल थे. इन विधायकों की बगावत की वजह से जुलाई में एचडी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जद(एस) सरकार गिर गई थी और बीजेपी के सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त हुआ. अभी विधानसभा में भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जद (एस) के 34 विधायक हैं. बसपा का भी एक विधायक है. इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और स्पीकर हैं. अयोग्य करार दिए गए 13 विधायकों को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. उपचुनाव लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद वे पिछले महीने बीजेपी में शामिल हो गए थे.
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गुरुवार को जिन 15 सीटों पर उपचुनाव होने वाला है, 12 पर कांग्रेस और तीन पर जद (एस) का कब्जा है. बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा, किसी भी उपचुनाव में मतदान प्रतिशत कम होता है. कांग्रेस के भी एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक मतदान प्रतिशत कम रहने की उम्मीद है, लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को होगा. राज्य में ये उपचुनाव 21 अक्टूबर को होना थे, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे पांच दिसंबर के लिए टाल दिया. दरअसल, शीर्ष न्यायालय ने अयोग्य करार दिए विधायकों की याचिकाओं की सुनवाई करने का फैसला किया था.