कर्नाटक सरकार के अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए नौकरियों और शिक्षा आरक्षण कोटा बढ़ाने के अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है, जिससे बोम्मई सरकार के लिए इसे लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. राज्य सरकार ने 20 अक्टूबर को अध्यादेश जारी किया था और राज्यपाल थावरचंद गहलोत को सहमति के लिए भेजा था.
चार दिन बाद रविवार को, राज्यपाल ने उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जो शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों के लिए राज्य के कोटे में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी में 2 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी में 4 प्रतिशत की वृद्धि करता है. अध्यादेश के पारित होने के साथ, कर्नाटक में एससी कोटा 17 प्रतिशत और एसटी कोटा 7 प्रतिशत हो जाएगा. अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिलने पर खुशी व्यक्त करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, यह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए राज्य सरकार की ओर से एक दीपावली उपहार है.
राज्य सरकार की योजना राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में अध्यादेश को मंजूरी दिलाने की है. कर्नाटक में भाजपा सरकार ने सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति लीग एचएन नागमोहन दास की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर कोटा बढ़ाने का फैसला किया.
राज्य सरकार द्वारा एससी/एसटी के लिए आरक्षण बढ़ाने के कदम का मतलब यह होगा कि आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी की सीमा के फैसले को पार कर जाएगा और कर्नाटक में 56 फीसदी को छू जाएगा.
Source : IANS