कर्नाटक विधान परिषद ने पास किया धर्मांतरण विरोधी कानून, कांग्रेस का विरोध

इस बिल को 23 दिसंबर 2021 को कर्नाटक विधानसभा ने पारित किया था, लेकिन उस समय बीजेपी के पास विधान परिषद में बहुमत नहीं थी. लिहाजा सरकार ने इस बिल को विधानपरिषद में पेश नहीं किया था. हालांकि इसी साल मई के महीने में बीजेपी सरकार ने...

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Shravan Shukla
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Karnataka Legislative Council passes anti conversion Bill

Karnataka Legislative Council passes anti conversion Bill ( Photo Credit : File)

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कर्नाटक विधान परिषद में 'कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल' यानी एंटी कन्वर्जन बिल को पास किया. सदन में कई घंटों की तीखी बहस और कांग्रेस-जेडीएस के विरोध के बावजूद बीजेपी इस बिल को पास कराने में कामयाब हुई. दरअसल इस बिल को 23 दिसंबर 2021 को कर्नाटक विधानसभा ने पारित किया था, लेकिन उस समय बीजेपी के पास विधान परिषद में बहुमत नहीं थी. लिहाजा सरकार ने इस बिल को विधानपरिषद में पेश नहीं किया था. हालांकि इसी साल मई के महीने में बीजेपी सरकार ने ऑर्डिनेंस के जरिए इस बिल को लागू किया था. अब कांग्रेस इस बिल का विरोध कर रही है, कांग्रेस का आरोप है कि यह बिल सही नहीं है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी इस बिल के जरिए अपनी सरकार की नाकामियों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है, जो कि कांग्रेस होने नहीं देगी. कांग्रेस इस बिल के खिलाफ अदालत में चुनौती देने पर भी कानूनी सलाह ले रही है.

इस बिल की खास बातें

  • धर्मांतरण के लिए किसी भी तरह के प्रलोभन- चाहे वो उपहार के रूप में हो या आर्थिक मदद के तौर पर या फिर किसी और रूप में, इसकी अनुमति नहीं होगी.
  • धार्मिक संस्थान की और से उनके शैक्षणिक संस्थानों में नौकरी या मुफ्त शिक्षा का प्रलोभन
  • किसी और धर्म के खिलाफ दूसरे धर्म का महिमा मंडन
  • शादी करवाने का वादा या फिर बेहतर जीवन या दैवीय मदद का भरोसा

सजा का प्रावधान

  • जनरल कैटेगिरी वाले शख्स का धर्मान्तरण कराने वाले आरोपी को 3 से 5 साल तक की सज़ा दी जा सकती है. साथ में कम से कम 25 हज़ार का जुर्माने का प्रावधान SC /ST, नाबालिग, महिला और मानसिक रूप से कमजोर शख्स का धर्मांतरण कराने वाले आरोपी को 3 साल से 10 साल तक की सज़ा, साथ ही कम से कम 50 हज़ार जुर्माना.
  • सामूहिक धर्मांतरण के आरोपियों को 3 से 10 साल तक की सज़ा और 1 लाख रुपये जुर्माना
  • धर्मांतरण के आरोप साबित होने पर दोषी की ओर से पीड़ित को 5 लाख रुपए तक बतौर मुवावज़ा देने का प्रावधान भी इस बिल में है
  • अगर शादी सिर्फ धर्मांतरण के लिए की गई होगी, तो उस शादी को रद्द करने का प्रावधान है.. (बिंदु 4 का अर्थ लव जेहाद जैसे मामलों में नकेल कसे जाने से भी लगाया जा सकता है.)

कांग्रेस कर रही है वोट बैंक की राजनीति

कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि देश में बड़े स्तर पर विदेशी मिशनरी धर्मांतरण करा रहे है. ऐसे में देश की संस्कृति को बचाने के लिए यह बिल जरूरी है. कांग्रेस सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए इसका विरोध कर रही है. उन्होंने कहा कि हमारे देश ने विदेशी मिशनरी बड़ी संख्या में धर्मांतरण करा रही है. वो इनोसेंट्स और दलितों का धर्मांतरण करा रहे है. देश का कल्चर और ट्रेडिशन खतरे में है. देश के हित और समाज में शांति बनाए रखने के लिए हमने इस बिल को पास किया. कांग्रेस ने इसका विरोध किया, यह उनकी वोट बैंक राजनीति है अल्पसंख्यकों के लिए.

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बीजेपी के भीतर भी हो रहा विरोध

लेकिन विरोध सिर्फ कांग्रेस और जेडीएस से ही नहीं हो रहा है, बीजेपी के भीतर भी इस बिल के विरोध में सुर उठ रहा है. बीजेपी एमएलसी एच.विश्वनाथ ने कहा कि जातिवाद की वजह से धर्मांतरण हो रहा है और बिल लाने से धर्मांतरण नहीं रुकेगा. जब तक समाज में सभी को बराबरी का दर्जा नहीं मिलता. विश्वनाथ ने कहा कि वह चरवाहा समुदाय से हैं, लिहाजा उन्हें आजतक हिंदू नहीं माना जा रहा है. जब तक ये खत्म नहीं होगा, धर्मांतरण नहीं रुकेगा.  वहीं, इसाई समुदाय भी इस बिल से नाराज है, उनका कहना है कि कुछ दक्षिणपंथी संगठन इस बिल के जरिए उन्हें परेशान करेंगे. जबरन धर्मांतरण के खिलाफ पहले से कानून हैं, ऐसे में नए कानून की क्यों जरूरत है?

HIGHLIGHTS

  • कर्नाटक विधान परिषद में धर्मांतरण विरोधी बिल पास
  • बीजेपी के अंदर से ही उठ रहे विरोध के स्वर
  • कांग्रेस के विरोध को बीजेपी ने बताया राजनीति
कांग्रेस Karnataka Legislative Council anti-conversion Bill कर्नाटक विधान परिषद धर्मांतरण विरोधी कानून
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