बलात्कार के आरोपी लिंगायत साधु शिवमूर्ति मूर्ति मुरुघा शरणारू ने कथित तौर पर चित्रदुर्ग मुरुघा मठ में रहने वाली नाबालिग लड़कियों का दुष्कर्म करने से पहले उन्हें नशीला पदार्थ पिलाया था. पुलिस जांच में खुलासा हुआ है. वर्तमान में न्यायिक हिरासत में आरोपित साधु अन्य अभियुक्तों को निर्देश देता था कि वह अपनी पसंद की नाबालिग लड़की को प्रतिदिन उसके निजी कमरे में आशीर्वाद लेने की आड़ में भेज दें. आरोपी साधु ने कथित तौर पर एक रूटीन तय कर लिया था कि किस खास दिन पर उसके पास किस लड़की को भेजा जाए.
बच्चों को उनके निजी कमरे की सफाई के लिए भेजा गया था, जहां आरोपी उन्हें नशीले पदार्थ से भरी कोई चीज देता था, और बेहोश होने पर उनके साथ दुष्कर्म करता था. पुलिस सूत्रों ने कहा कि आरोपी साधु रात भर पीड़ित लड़कियों को अपने निजी कमरे में रखता था. जो लड़कियां जाग जाती थी, अपने बगल में साधु को देख चौंक जाती थी. तब आरोपी उन्हें धमकाता और डराने की कोशिश करता था. लड़कियों द्वारा घटना के बारे में खुलासा करने पर उनके परिवार को खत्म करने की धमकी भी दी जाती थी. पुलिस ने कहा कि धमकी के बाद पीड़ित लड़कियां चुप रहती थी.
साधु उन्हें स्नान करते समय अपनी पीठ और पीठ के निचले हिस्से को साफ करने के लिए कहता था. इस दौरान हॉस्टल वार्डन यह सुनिश्चित करते थे कि किसी को इस बारे में कोई संदेह न हो कि आसपास क्या हो रहा है. योजना के तहत, शरणारू यौन उत्पीड़न पीड़ितों की तलाश करने का काम करेगा और अपने मठ में शरण देगा. साथ ही उनके परिवारों को आर्थिक मदद भी दी जाएगी. ताकि परिवार साधु की प्रशंसा करें और उसे भगवान कहे.
योजना के झांसे में आए माता-पिताओं ने कभी भी अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में दो बार नहीं सोचा. वे बच्चों को बताते थे कि उनकी देखभाल स्वयं भगवान द्वारा की जाती है. पुलिस ने कहा कि इससे पीड़ितों को आपबीती बताने में और भी ज्यादा मुश्किल हुई. पुलिस को आरोपी साधु द्वारा कई बुजुर्ग महिलाओं के साथ भी दुष्कर्म किए जाने की जानकारी मिली है. पीड़ितों में से एक नाबालिग लड़की को कथित तौर पर मार डाला गया और इसे दुर्घटना का नाम दिया गया.
पीड़ित लड़कियों को उनकी पृष्ठभूमि के आधार पर चुना जाता था. अनाथ या सिंगल माता-पिता की बेटियों को प्राथमिकता दी जाती थी. पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि अगर किसी पीड़िता ने उसके कमरे में जाने से इनकार किया, तो उन्हें कैद कर दिया जाता था, भूखा रखा जाता था और कड़ी सजा दी जाती थी. अधिकांश विवरणों का उल्लेख आरोपी साधु और अन्य के खिलाफ अदालत में पेश दो आरोप-पत्रों में किया जा रहा है.
26 अगस्त को साधु के खिलाफ पहला पोक्सो और अत्याचार का मामला दर्ज किया गया था. इसी तरह के प्रावधानों के तहत दूसरा मामला 13 अक्टूबर को दर्ज किया गया था. आरोपी साधु को एक सितंबर को गिरफ्तार किया गया था.
Source : IANS