महज 21 साल की उम्र में ही महापौर का पद जी हां ये लगता तो सपना है लेकिन है बिलकुल सच. इसे सच कर दिखाया है मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की नेता आर्या राजेंद्रन ने. तिरुवनंतपुरम के मुडवानमुगल से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पार्षद आर्या राजेंद्रन ने नगर निगम के नए महापौर के रूप में शपथ ली. वह 21 साल की हैं. आर्या यहां के ऑल सेंट्स कॉलेज में बीएससी (गणित) द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं. उन्होंने मीडिया को बताया कि वह सिटी मेयर की जिम्मेदारी संभालने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखेंगी.
जानिए कौन हैं आर्या राजेंद्रन
आर्या राजेंद्रन केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली हैं. उनके परिवार में उनके पिता इलेक्ट्रीशियन हैं, मां एलआईसी की एजेंट और भाई ऑटोमोबाइल इंजीनियर है. आर्या का पूरा परिवार सीपीएम को सपोर्ट करता है, उनके पूरे परिवार ने सीपीएम की सदस्यता भी ली है. जब आर्या महज पांचवीं क्लास में थी तब से ही वो बालसंघम से जुड़ीं थीं. आपको बता दें कि बालसंघम सीपीएम से जुड़ा बच्चों का एक संस्थान है. आगे चलकर आर्या बालसंघम की जिला अध्यक्ष बनीं. इसके अलावा आर्या सीपीएम के स्टूडेंट विंग स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) की भी सदस्य हैं. और इसके बाद उन्होंने देश की पहली सबसे युवा मेयर होने का कीर्तिमान रच दिया है.
पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति भी की
जब आर्या से इस बारे में पूछा गया कि वो इतनी कम उम्र में कैसे इस मुकाम तक पहुंच गईं तो उन्होंने मीडिया को बताया कि वो पिछले कई सालों से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन उन्होंने राजनीति को अपनी पढ़ाई को अलग रखा. उन्होंने बताया कि उनका स्कूल और कॉलेज दोनों ही चर्च द्वारा चलाए जा रहे इंस्टीट्यूशन्स हैं. यहां पर कैम्पस पॉलिटिक्स नहीं होती थी. आर्या का कहना है कि राजनीति में नई ज़िम्मेदारियां मिलने के बाद वो अपना कॉलेज रेगुलर बेसिस पर अटेंड नहीं कर पाएंगी, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सब मैनेज हो जाएगा.
कोझिकोड में, सेवानिवृत्त शिक्षिका व माकपा की नेता बीना फिलिप ने महापौर के रूप में शपथ ली. उसने मीडियाकर्मियों से कहा कि वह कोझिकोड को एक विश्वस्तरीय शहर के रूप में विकसित करना चाहती हैं और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह पार्टी की तर्ज पर एकजुट होकर काम करेंगी. सिर्फ कन्नूर नगर निगम में महापौर का पद कांग्रेस नेता को मिला है. पार्टी नेता टी.ओ. मोहनन ने महापौर के रूप में शपथ ली. उन्होंने कहा कि वह कन्नूर को देश की हथकरघा राजधानी बनाने का प्रयास करेंगे. कन्नूर में बुनकरों की संख्या अधिक है और इस क्षेत्र से हैंडलूम वस्त्रों का काफी निर्यात होता है.
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