उडुपी जिला पुलिस ने सोशल मीडिया पर पत्नी को ‘तीन तलाक’ देने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. आरोपी की पहचान शेख मोहम्मद सलीम के रूप में हुई है जो जिले के शिर्वा क्षेत्र का निवासी है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि सलीम और शिर्वा निवासी स्वप्नाज की सितंबर 2010 में शादी हुई थी और वे सऊदी अरब के दम्माम में रह रहे थे. दोनों एक बेटी के माता-पिता हैं. दर्ज मामले के अनुसार सलीम के एक अन्य महिला से कथित तौर पर संबंध हैं. वह जुलाई में भारत लौट आया और अपनी पत्नी को सऊदी अरब में ही छोड़ आया. पुलिस सूत्रों ने दर्ज मामले के आधार पर बताया कि बाद में उसने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से अपनी पत्नी को एक ऑडियो क्लिप भेजकर उसे ‘तीन तलाक’ दे दिया. उन्होंने बताया कि स्वप्नाज ने शिर्वा थाने में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई.
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अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया
पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. उसके खिलाफ संबंधित कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी को स्थानीय अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. ट्रिपल तलाक (Triple Talaq) कानून के अस्तित्व में आए एक अगस्त को एक साल पूरा हो जाएगा. ऐसे में पिछले एक साल के दौरान 'तीन तलाक' या 'तिलाके बिद्दत' की घटनाओं में 82 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है, और जहां कही ऐसी घटना हुईं, वहां कानून ने अपना काम किया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने भी एक बयान में इस कानून के बाद मुस्लिम समाज में आए बदलाव पर प्रकाश डाला है.
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एक अगस्त को कानून बने हो जाएंगे एक साल
उन्होंने कहा, 'वैसे तो अगस्त का महीना इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं से भरपूर है, आठ अगस्त 'भारत छोड़ो आंदोलन', 15 अगस्त भारतीय स्वतंत्रता दिवस, 19 अगस्त 'विश्व मानवीय दिवस', 20 अगस्त 'सद्भावना दिवस', पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 खत्म होना जैसे इतिहास के सुनहरे लफ्जों में लिखे जाने वाले दिन हैं, लेकिन एक अगस्त मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा, कुरीति से मुक्त करने का दिन है, जो भारत के इतिहास में 'मुस्लिम महिला अधिकार दिवस' के रूप में दर्ज हो चुका है.
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तमाम दल तीन तलाक कानून से असहमत थे
उन्होंने कहा, 'तीन तलाक या तिलाके बिद्दत जो न संवैधानिक तौर से ठीक था, न इस्लाम के नुक्तेनजर से जायज था. फिर भी हमारे देश में मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न से भरपूर गैर-कानूनी, असंवैधानिक, गैर-इस्लामी कुप्रथा तीन तलाक, वोट बैंक के सौदागरों के सियासी संरक्षण में फलता-फूलता रहा.' नकवी ने कहा, 'एक अगस्त, 2019 भारतीय संसद के इतिहास का वह दिन है, जिस दिन कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस सहित तमाम तथाकथित सेक्युलरिज्म के सियासी सूरमाओं के विरोध के बावजूद तीन तलाक कुप्रथा को खत्म करने के विधेयक को कानून बनाया गया.'