तेलंगाना (Telangana) का काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर (Kakatiya Rudreshwara Temple) अब विश्व धरोहर में शामिल हो गया है. काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट (UNESCO world heritage site) में जगह मिली है. यह मंदिर रामप्पा मंदिर के नाम से भी पहचाना जाता है. इसका इतिहास 800 साल पुराना है. ये मंदिर जितना प्राचीन है उससे कही ज्यादा भव्य और सुंदर भी. बता दें कि, मनमोहक शिल्पकला को समेटे इस मंदिर के विश्व धरोहर में शामिल होने के खास अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को बधाई दी है. पीएम मोदी ने इस खुशी के मौके पर क्या कुछ कहा वो बताने से पहले आपको UNESCO द्वारा की गई इस घोषणा के बारे में बताते हैं.
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दरअसल, मार्को पोलो (Marco Polo) ने काकतीय वंश (Kakatiya dynasty) के दौरान बने इस मंदिर को तमाम मंदिरों में सबसे चमकता तारा कहा था. जिसके बाद अब UNESCO ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी देते हुए लिखा है कि, 'यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को शामिल किया गया है. बेहतरीन इंडिया...।'
UNESCO के ट्वीट करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत इस खुशी के मौके पर सभी देशवासियों और तेलंगाना के लोगों को अपने ट्विटर हैंडल के जरिये बधाई देते हुए लिखा, 'शानदार! प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है. मैं आप सभी से इस राजसी मंदिर परिसर की यात्रा और इसकी भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करता हूं.'
इतना ही नहीं, इस उपलक्ष पर तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव ने भी खुशी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'आप सभी के साथ अच्छी खबर शेयर कर रहा हूं कि तेलंगाना के 800 साल पुराने काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है. इस प्रयास में शामिल सभी लोगों को मैं बधाई देता हूं.'
जानकारी के मुताबिक, रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल के दौरान कराया गया था. यह मंदिर रेचारला रुद्र ने बनवाया था जो काकतीय राजा गणपति देव के एक सेनापति थे. इसके शिल्पकार थे रामप्पा. जिन्होंने 40 साल तक मंदिर के लिए काम किया था. उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया. यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है और मंदिर के देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं.
HIGHLIGHTS
- 800 साल पुराना ये मंदिर तेलंगाना में स्थित है
- 1213 ईस्वी में हुआ था मंदिर का निर्माण