नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केरल विधानसभा में पास किए गए प्रस्ताव को केरल के राज्यपाल ने अंसवैधानिक करार दिया है. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी वैधता नहीं है क्योंकि नागरिकता विशेष रूप से एक केंद्र का विषय है, इसका वास्तव में कुछ महत्व नहीं है.
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क्या है पूरा मामला?
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया गया था. इस प्रस्ताव के पास होने के साथ हीवामदल शासित केरल (Kerala) CAA को विधानसभा में खारिज करने वाला पहला राज्य बन गया है. हालांकि राज्य सरकारों की ओर से उठते विरोध के सुर के बीच मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है. अब मोदी सरकार इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की तैयारी में है. पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से राज्यों की लागू न करने की धमकी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
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इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) का भी इस मामले पर बयान सामने आया था. एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा था कि, केरल विधानसभा समेत किसी भी विधानसभा को नागरिकता पर कोई भी कानून या प्रस्ताव पारित करने का अधिकार नहीं है. इस संबंध में सारी शक्ति सिर्फ संसद के पास है. केंद्र सरकार के कुछ अफसरों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता ग्रहण करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के जरिये आवेदन देने की मौजूदा प्रक्रिया दरकिनार करने के विकल्प पर विचार कर रहा है.