2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी (NDA) के लिए बुरी खबर है. दक्षिण भारत में एनडीए के सबसे मजबूत घटक दल AIADMK ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया है. चेन्नई में हुई AIADMK की बैठक में पार्टी ने सर्वसम्मित से एनडीए से अलग होने का प्रस्ताव पारित किया. इस बैठक में पार्टी के जिला सचिव, सांसद और विधायक शामिल थे. AIADMK का कहना है कि सभी जिला सचिवों की सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया गया है. पार्टी के उप महासचिव केपी मुनुसामी ने कहा कि हमने बीजेपी के साथ गठबंधन और एनडीए से बाहर होने के फैसला किया है. मुनुसामी ने कहा कि सर्वसम्मति से किए गए इस फैसले में दो करोड़ से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं एवं आकांक्षाओं का सम्मान किया गया है. अब अन्नाद्रमुक अपने सहयोगियों के साथ चुनाव लड़ेगी. इस घोषणा के बाद एआईएडीएमके के कार्यकर्ताओं ने मुख्यालय पर पटाखे फोड़कर जश्न मनाया.
पार्टी ने कहा, "बीजेपी का राज्य नेतृत्व पिछले एक साल से लगातार हमारे पूर्व नेताओं, हमारे महासचिव ईपीएस (एडापड्डी पलानीस्वामी) और हमारे कार्यकर्ताओं पर अनावश्यक टिप्पणी कर रहा है. आज की बैठक में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया."
बता दें कि बीजेपी और AIADMK का गठबंधन अटल बिहारी वाजपेयी और जयललिता के जमाने से है. ऐसे में अचानक से इस गठबंधन का टूट जाना बीजेपी के लिए कितना बड़ा झटका है, जब ये सवाल प्रदेश बीजेपी नेता सीटी रवि से पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी लोकसभा चुनाव में 8 महीने बचे हैं, उसमें क्या होगा, कुछ बोल नहीं सकते हैं. आज हम कुछ नहीं कह सकते हैं. राज्य में अपनी पार्टी को मजबूत करना सभी कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है. प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई जी के नेतृत्व में राज्य में पार्टी को मजबूत करने का काम हर जगह हो रहा है. उधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई से एआईडीएमके से गठबंधन टूटने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो इस पर बाद में बयान देंगे. अभी वो यात्रा में हैं और यात्रा के दौरान वो कुछ नहीं बोलेंगे.
..तो गठबंधन टूटने की यह है बड़ी वजह
अब आपको बताते हैं कि आखिर बीजेपी और AIADMK के बीच इस गठबंधन के टूटने की अहम वजह क्या है. कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के.अन्नामलाई ने द्रविड़ आंदोलन के नेता और तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री सी एन अन्नादुरई को लेकर विवादास्पद बयान दिया था. राज्य सरकार के मंत्री पी के सेकर बाबू के ख़िलाफ़ विरोध करते हुए के.अन्नामलाई ने 1950 की एक घटना का ज़िक्र किया था. उन्होंने कहा, उस समय अन्नादुरई ने हिंदू धर्म की आलोचना की थी. लेकिन स्वतंत्रता सेनानी पसुमपोन मुथुरामलिंगम थेवर ने इसका कड़ा विरोध किया था. विरोध के बाद अन्नादुराई ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी थी.
के.अन्नामलाई का बयान AIADMK के नेताओं को पचा नहीं. डी जयकुमार ने कहा कि अन्नामलाई ने पहले भी पार्टी सुप्रीमो और पूर्व सीएम जयललिता पर टिप्पणी की थी. इसके लिए उन्हें जनता के भरपूर ग़ुस्से का सामना करना पड़ा था और इसी वजह से उन्हें दिवंगत नेताओं पर टिप्पणी करना बंद कर देना चाहिए. AIADMK के पूर्व मंत्री सी.वेषणमुगम ने भी कहा कि पार्टी कैडर उनके नेताओं के ख़िलाफ़ की गई किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा "हम अन्नामलाई की कड़ी निंदा करते हैं. एनडीए गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद उन्होंने पहले अम्मा की आलोचना की और अब पेरारिग्नर अन्ना के बारे में बात कर रहे हैं. अन्नामलाई मक़सद क्या है?"अन्नामलाई ने भी अपनी टिप्पणी का जवाब दिया, कि वो केवल एक ऐतिहासिक घटना के बारे में बात कर रहे थे. जिसके उनके पास पर्याप्त सबूत हैं.
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देश में इस समय दो गठबंधन
AIADMK ने कहा कि वो 2024 के लोकसभा चुनाव में एक अलग मोर्चे का नेतृत्व करेगी. दरअसल इस समय देश में दो प्रमुख गठबंधन है. इसमें एक बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए है तो दूसरा कांग्रेस, टीएमसी और आम आदमी पार्टी सहित 28 दलों वाला विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' है. इनके अलावा कई ऐसे भी दल है जो कि एनडीए और 'इंडिया' दोनों का ही हिस्सा नहीं है. इसमें तेलंगाना के सीएम केसीआर की भारत राष्ट्र समिति, सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सहित कई दल है.
नवीन कुमार की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau