मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के कैबिनेट में खाद्द एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 9 साल पुराने केस की SIT जांच गठित करने के निर्देश दिए हैं. पूरा मामला जमीनी विवाद से जुड़ा है. दरअसल, सीएम मोहन कैबिनेट के नेता गोविंद सिंह राजपूत पर आरोप है कि उन्होंने 2016 में सागर जिले के ओबीसी नेता मानसिंह पटेल की जमीन हड़प ली थी. इस दौरान मानसिंह पटेल ने 2016 में सिटी मजिस्ट्रेट, रेवेन्यू डिपार्टमेंट और संबंधित थाने में नामजद शिकायत की थी. तब पटेल ने यह आशंका भी जताई थी कि उनकी जान को मंत्री गोविंद राजपूत से खतरा है. इसके बाद से ही मान सिंह पटेल लापता हैं.
चार महीने के भीतर सौंपनी होगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले पर एसआईटी की जांच गठित की जाए. साथ ही इसका नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक द्वारा किया जाना चाहिए. SIT में एक एसपी रैंक का अधिकारी और एक अतिरिक्त एसपी रैंक का अधिकारी सदस्य होना चाहिए. तीनों अधिकारी एमपी कैडर आईपीएस अधिकारी होने चाहिए, लेकिन उनका मूल राज्य से बाहर का होना चाहिए. एसआईटी को चार महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौपनी होगी.
मानहानि की करेंगे कार्रवाई
गोविंद सिंह ने मीडिया के सामने सफाई पेश करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की है. कोर्ट ने सिर्फ SIT गठित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इस मामले पर मानहानि की कार्रवाई करने की भी बात कही है. गोविंद सिंह ने कहा कि उन्हें आज तक इस मामले में उच्च न्यायालय से कोई नोटिस नहीं मिला है. बल्कि उनके राजनीतिक विरोधी षड्यंत्र रचा रहे हैं. इसलिए ऐसे भ्रामक प्रचार करने वालों के खिलाफ वह मानहानि का दावा और कंटेंप्ट की कार्रवाई करवाएंगे.
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कमलनाथ सरकार से भी थे ताल्लुकात
बता दें गोविंद सिंह सिंधिया खेमे से ताल्लुक रखते हैं. इससे पहले वह कमलनाथ सरकार में परिवहन और राजस्व विभाग संभालने वाले कैबिनेट मंत्री थे. राजपूत मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 21 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके कारण कांग्रेस सरकार गिर गई थी. इसके बाद वह शिवराज सरकार में भी मंत्री रहे और अब उन्हें मोहन यादव सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है.