यूपी में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों, ढाबों और ठेलों पर नाम पट्टी लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक बरकरार रहने वाली है. कोर्ट ने इस निर्णय में उत्तराखंड और एमपी सरकार को जवाब दाखिल करने को लेकर दो सप्ताह का वक्त दिया है. इसके बाद जवाब के लिए याचिकाकर्ता को एक सप्ताह का वक्त दिया गया है. इस पर तीन सप्ताह बाद अगले सोमवार को सुनवाई होगी. तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी रहने वाला है.
कांवड यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने के निर्देश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है. सरकार का कहना है कि ये निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नामों से होने वाले भ्रम के बारे में कांवड़ियों की ओर से मिली शिकायतों के बाद किए गए थे. ऐसी शिकायतें मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों की चिंताओं को दूर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई .
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यूपी सरकार के अनुसार, राज्य ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है. (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर) और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं. मालिकों के नाम और प हचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है.
विवाद में दाखिल याचिकाओं का विरोध किया
यूपी सरकार ने नेम प्लेट विवाद में दाखिल याचिकाओं का विरोध किया. उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि प्रेस विज्ञप्ति पूरी तरह से कांवर यात्रा के शांतिपूर्ण समापन को सुनिश्चित करने को लेकर जनहित में जारी की गई थी. इसमें सालाना 4.07 करोड़ से अधिक कांवडियों ने भाग लिया.
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, वह किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने कहा, हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने के नाते, प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करता है. चाहे उसका धर्म कुछ भी हो. राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाता है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं.