ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में अब निर्माण कार्य के लिए सिर्फ एसटीपी से शोधित पानी का ही इस्तेमाल किया जाएगा. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जल्द ही इस प्रावधान को अनिवार्य रूप से लागू करने जा रहा है. प्रावधान लागू होने के बाद अगर किसी निर्माण में भूजल का इस्तेमाल किया जाता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगेगा. दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने चार एसटीपी बनाए हैं. इनकी कुल क्षमता 174 एमएलडी है. वर्तमान समय में इन चारों एसटीपी से करीब 109 एमएलडी सीवरेज का शोधन हो रहा है. इसमें से कासना का एसटीपी सबसे बड़ा है. इसकी क्षमता 137 एमएलडी है. मौजूदा समय में इस एसपीटी से रोजाना करीब 90 एमएलडी सीवर शोधित हो रहा है.
जल्द लागू होगा नियम
मौजूदा समय में कई लोग भूजल से ही निर्माण का कार्य कर रहे हैं. ग्रेटर नोएडा में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. भूजल के चलते ग्रेटर नोएडा का अधिकांश एरिया क्रिटिकल जोन में हैं.
इसे देखते हुए प्राधिकरण का सीवर विभाग जल्द ही यह प्रावधान बनाने जा रहे है. इसके बाद अब निर्माण कार्यों के लिए सिर्फ एसटीपी के पानी का ही इस्तेमाल किया जाएगा. अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.
सिर्फ 7 रुपये में 1000 लीटर पानी
एसटीपी से निर्माण कार्यों के लिए शोधित पानी खरीदना महंगा भी नहीं है. लोग इस पानी का निर्माण में इस्तेमाल सकें, इसके लिए प्राधिकरण ने सिर्फ 7 रुपये में 1000 लीटर पानी की सुविधा उपलब्ध करा रहा है. एसटीपी से शोधित पानी लेने के लिए प्राधिकरण के जल विभाग या रिसेप्शन काउंटर पर आवेदन पत्र जमा करना होगा.
कई उद्योग ले रहे एसटीपी का पानी
ग्रेटर नोएडा के कई उद्योग औद्योगिक कार्यों के लिए पहले से ही एसटीपी से शोधित पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं. एनटीपीसी रिसर्च इंस्टीट्यूट, हॉलीटेक जैसी कंपनियां इसमें शामिल हैं. ग्रेटर नोएडा के सीईओ सुरेंद्र सिंह ने एसटीपी का पानी इस्तेमाल करने की सबसे अपील की है.
Source : Amit Choudhary