मायावती के संबोधन की 13 बड़ी बातें

मकर संक्रांति के दिन 15 जनवरी को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में अपना जन्‍मदिन मनाया और ब्‍लू बुक लांच किया. ब्‍लू बुक पार्टी की सालाना गतिविधियों का लेखा-जोखा होता है, जिसे बसपा प्रमुख ने हिंदी और अंग्रेजी में लांच किया.

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Sunil Mishra
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मायावती के संबोधन की 13 बड़ी बातें

मायावती ने अपने जन्‍मदिन पर कार्यकर्ताओं को संबाेधित किया (ANI)

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मकर संक्रांति के दिन 15 जनवरी को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में अपना जन्‍मदिन मनाया और ब्‍लू बुक लांच किया. ब्‍लू बुक पार्टी की सालाना गतिविधियों का लेखा-जोखा होता है, जिसे बसपा प्रमुख ने हिंदी और अंग्रेजी में लांच किया. मायावती ने 63 किलो का केक भी काटा. अपने जन्‍मदिन को उन्‍होंने जनकल्‍याणकारी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की और बोलीं- पूर्व में भी वह ऐसा ही करती आ रही हैं. आइए जानते हैं उनके संबोधन की 10 बड़ी बातें -

  1. इस बार मेरा जन्मदिन ऐसे मौके पर हो रहा है जब लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है और हमारी पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
  2. इससे भाजपा और अन्य पार्टियों की नींद उड़ी है, यही प्रदेश तय करता है कौन प्रधानमंत्री बनेगा और किसकी सरकार बनेगी.
  3. पुराने सभी गिले शिकवे भुलाकर निजी हितों को भूलकर विरोधियों के साम दाम से बचकर एकजुट हो,यही मेरे जन्मदिन का तोहफा होगा.
  4. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नतीजों ने भाजपा को सबक सिखाया, लेकिन इससे कांग्रेस एंड कंपनी को भी सबक सीखने की जरूरत है, कांग्रेस सरकार में कर्जमाफी की सीमा केवल 9 महीने पहले की क्यों तय की गई ? जिन शर्तों के आधार पर केवल 2 लाख का कर्ज माफ करने की बात कही गई, उससे खास लाभ किसानों को नही मिलने वाला.

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  1. किसानों की कर्जमाफी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कोई ठोस नीति बनानी चाहिए. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर पूरी तरह अमल किया गया तो समाधान निकल सकता है.
  2. दलित आदिवासी पिछड़ा अल्पसंख्यक जो भूमिहीन हैं, जो छोटे मोटे काम के लिए कर्ज लेते हैं, इनके कर्ज माफी के लिए कोई ठोस कदम नही उठाये गए, GST नोटबन्दी से इनकी स्थिति और दयनीय हो गई है, इन सरकारों में इनके हित न सुरक्षित रहे हैं न आगे रहेंगे.
  3. हमारी पार्टी धन्नासेठों की ग़ुलामी नही करती. रक्षा सौदों में केंद्र सरकार विपक्षी पार्टियों को भी विश्वास में लेकर एक दीर्घकालीन नीति तैयार करे.
  4. BJP-RSS ने धर्म के नाम पर न केवल राजनीति करने का काम किया बल्कि देवी देवताओं को भी जाति में बाटने का घिनौना काम किया. ये दुखद स्थिति है. मुसलमानों की जुमा की नमाज रोकना शुरू कर दिया है.
  5. सीबीआई और संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे है। इसका ताजा उदाहरण सपा अध्यक्ष का सीबीआई में नाम लाना है.
  6. भाजपा के लाख न चाहने के बाद भी इनकी वादाखिलाफी मुद्दा बन गई. 15 से 20 लाख देकर अच्छे दिन लाने का सपना दिखाया था जो विश्वासघाती साबित हुआ है.
  7. लोकसभा के चुनाव करीब आते ही पिछले चुनाव की तरह अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए नाटकबाजी शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री देश भर में रैली कर तरह तरह की घोषणाएं कर रहे हैं.
  8. 10% सवर्ण आरक्षण का हमारी पार्टी समर्थन करती है, लेकिन धार्मिक अल्पसंख्याको को खास लाभ नही मिलने वाला जब तक इनकी द्वेषपूर्ण सोच बनी रहती है. हमारी पार्टी अल्पसंख्यकों को अलग आरक्षण देने की मांग करती है इस पर कायम है.
  9. कार्यकर्ता अपने खुद के नेतृत्व में सरकार बनाएं, ऐसा होता है तो यही जन्मदिन का गिफ्ट होगा.

Source : Harendra Chaudhary

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