उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित सचल पालना गृह योजना में की जा रही भारी अनियमितताओं व गृह विभाग की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने प्रदेश के 280 एनजीओ को 'ब्लैक लिस्टेड' कर दिया है. साथ ही तत्काल प्रभाव ने इन संगठनों को कोई भी वित्तीय सहायता न दिए जाने के लिए निर्देश संबंधित विभागों को दिया है, जिनमें जनपद गोंडा की नौ संस्थाएं शामिल हैं.
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जिलाधिकारी कैप्टन प्रभांशु श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के 280 एनजीओ को समाज कल्याण बोर्ड द्वारा 48.92 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई थी, जिसकी अनियमितता की शिकायत पर गृह विभाग द्वारा सीबीआई से जांच कराई जा रही है, जिनमें गोंडा की 9 एनजीओ को भी कोई भी वित्तीय धनराशि न निर्गत करने की संस्तुति सीबीआई द्वारा सम्बन्धित विभागों से की गई है.
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ब्लैकलिस्ट की गई संस्थाओं में सेवालय संस्था भोपतपुर, श्री अम्बिकेश्वर सेवा संस्थान भानपुर सरावां तरबगंज, थारू जनजाति महिला विकास समति आवास विकास गोंडा, दीप हस्तशिल्प जमुनियाबाग पोस्ट पिलखाया देवरी, संगम विकास सेवा संस्थान पूरेगदा मोहना परसपुर, शांति सर्वोदय संस्थान, शांतिकुंज मेवातियान गोंडा, ग्रामीण महिला एवं बाल कल्याण समिति जमथरा कौड़िया बाजार, रूरल एजूकेशन डेवलपमेंट सोसाइटी ढोढ़ेपुर तरबगंज तथा श्री भोलानाथ सेवा संस्थान किन्धौरा गोंडा शामिल हैं.
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सीबीआई द्वारा सभी संस्थाओं को कोई भी धनराशि न निर्गत करने तथा जो भी धनराशि निर्गत की जानी है को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर देने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि हाईकोर्ट में योजित की गई याचिका में पारित आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा गृह विभाग से पूरे मामले की जांच कराने का अनुरोध किया गया था, जिसके क्रम में सीबाआई वित्तीय गड़बड़ियों की जांच कर रही है.
क्या है सचल सचल पालना गृह योजना
उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के दौरान मजदूरों के बच्चों की देखभाल व शिक्षा की मंशा के साथ “सचल पालना गृह योजना” शुरू की गई थी. यह योजना श्रम विभाग द्वारा चलाई गई थी. इसके तहत मजदूरों खास तौर पर महिला श्रमिकों काम के स्थान पर उनके के बच्चों को दिन में खेलने, खाने और सोने की सुविधा मुहैया कराई जानी थी.
यह योजना उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में लागू की जानी थी, लेकिन बच्चों की देखभाल और शिक्षा की मंशा के साथ शुरू की गई सचल पालना गृह योजना सिर्फ स्वयं सेवी संस्थाओं (NGO) और विभागीय अधिकारियों के लिए ही पौष्टिक साबित हुई. इसका मुख्य कारण यह था कि न तो यह तय किया गया कि एक संस्था को कितने पालना गृह चलाने का काम दिया जाएगा और न ही यह तय हुआ कि किस जिले में कितने पालना गृह खोले जाएंगे.
सचल पालना गृह योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य महिला श्रमिकों के कार्य पर रहने और उनकी बीमारी की दशा में बच्चों की देखभाल के साथ-साथ शारीरिक व मासिक विकास हेतु शैक्षिक, मनोरंजन व अल्पावास के दौरान भोजन की सुविधाएं प्रदान करना है. इसके साथ ही बच्चों के विकास हेतु परिवार परामर्श केन्द्र एवं अल्पावास गृह जैसी योजनाओं के माध्यम से महिला श्रमिकों को बच्चे की देखभाल के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना है
Source : IANS