उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक भर्ती (Uttar pradesh Basic Teacher) मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. खुलासे में पता चला है कि लगभग 4 हजार शिक्षकों को फर्जी डिग्री (Fake Degree) के आधार पर सरकारी नौकरी मिली थी. उत्तर प्रदेश की आगरा यूनिवर्सिटी की 2004-05 बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षकों को बेसिक में नौकरी मिल गई थी. जुलाई 2018 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव (बेसिक) प्रभात कुमार ने जिलाधिकारियों से कहा था कि वे एडीएम की अगुआई में कमिटी बनाकर 2010 के बाद बेसिक में हुईं सभी भर्तियों की जांच करें.
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बेसिक विभाग ने वसूली की दी नोटिस
वहीं 2.25 लाख से अधिक पद जांच के दायरे में थे. फर्जीवाड़े की जांच बाद में एसआईटी (SIT) को दे दी गई थी. जांच के आधार पर अब तक 1701 शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है. इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने सख्ती करनी शुरू कर दी. फर्जी डिग्री से जिसने भी नौकरी ली थी, सबको विभाग ने वसूली का नोटिस दे दिया है. शिक्षकों ने सरकार से जो भी वेतन या दूसरे मदों में भत्ते लिए हैं, उन सबकी वसूली शिक्षकों से ही हो रही है.
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2004-2005 में इस फर्जीवाड़े की शुरुआत हो गई थी
बता दें कि वर्ष 2004-2005 में इस फर्जीवाड़े की शुरुआत हो गई थी. वर्ष 2013 में छात्र सुनील कुमार ने इसकी शिकायत हाईकोर्ट में की थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच एसआईटी से कराने का आदेश दिया था. एसआईटी की जांच में यह बात सामने आई कि यूनिवर्सिटी से जुड़े 100 से ज्यादा कॉलेज में करीब दस हजार फर्जी छात्रों को बिना परीक्षा बीएड पास करा दिया गया. इनमें से कई को सरकारी नौकरियां भी मिल गईं. एसआईटी ने यूनिवर्सिटी से ऐसे सभी छात्रों का रेकार्ड लिया और जांच शुरू की थी.