नोएडा में सुपरटेक का ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया. ट्विन टावर को लेकर लंबे समय से विवाद था. नियमों का उल्लंघन करके बनाया गया ट्विन टावर अब इतिहास बन गया है. आधुनिक तकनीकि का प्रयोग करते इस बहुमंजिली इमारत को चंद सेकंड में जमींदोज कर दिया. मलबे में तब्दील ट्विन टावर ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है, जिसका जवाब किसी के पास नहीं है. ट्विन टावर के ध्वस्त होने से उसके निर्माण में लगे करीब 500 करोड़ रुपए बर्बाद हो गए.
ट्विन टावर की जमीन को सुपरटेक लिमिटेड ने 25 करोड़ में खरीदा था. सुपरटेक लिमिटेड ने नोएडा प्राधिकरण से लेआउट मंजूरी प्राप्त करने के लिए 25 करोड़ और दिए थे. सुपरटेक लिमिटेड ने एपेक्स और सेयेन नाम के इन दो टावरों में स्टील, सीमेंट, रेत, लेबर, लोन और अन्य खर्चों सहित निर्माण सामग्री में 450 करोड़ रुपए का खर्च किया था.
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लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए ट्विन टावर को ढहाए जाना ही था. ट्विन टावर के आस-पास की सोसायटियों में रहने वाले इस पर मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए इस इमारत को सरकार को सौंप देना था. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन लोगों को सबक की तरह है, जो कानून तोड़ते हैं और पैसा बनाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं.