उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के 2268 करोड़ रुपये निजी संस्था में फंस जाने के विरोध में सूबे के 45 हजार विद्युतकर्मियों ने सोमवार को 48 घंटे का कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के करीब 45 हजार बिजली कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं ने सोमवार सुबह आठ बजे से 48 घण्टे का कार्य बहिष्कार शुरू किया. उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में आज सुबह आठ बजे से ही बिजली कर्मचारी व अभियन्ता विरोध प्रदर्शन करते रहे.
राजधानी लखनऊ में लेसा व मध्यांचल सहित सभी दफ्तरों के बिजली कर्मचारी व अभियन्ता शक्तिभवन मुख्यालय पर एकत्र हुए. जिला मुख्यालयों पर सभी दफ्तरों और बिजली उपकेन्द्रों के कर्मचारी भी एक स्थान पर एकत्र हुए और विरोध सभा की. बिजली कर्मचारियों की मुख्य मांग है कि सरकार उनकी भविष्य निधि के फंसे हुए धन के भुगतान की जिम्मेदारी लेकर इस सिलसिले में गजट नोटिफिकेशन जारी करे. साथ ही घोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व चेयरमैन और अन्य जिम्मेदार आला अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाए. वर्ष 2000 में ऐसी ही गारण्टी सरकार ले चुकी है और उसका गजट भी उपलब्ध है.
हालांकि, विद्युत उत्पादन गृहों की शिफ्ट, 400 केवी पारेषण और सिस्टम आपरेशन की शिफ्ट को कार्य बहिष्कार से अलग रखा है. समिति के संयोजक दुबे ने आगाह किया कि अगर 48 घण्टे के शांतिपूर्ण कार्य बहिष्कार से सरकार नहीं चेती तो शिफ्ट में कार्यरत बिजलीकर्मी भी मजबूरन आन्दोलन में शामिल हो जाएंगे. दुबे ने बताया कि नियमों का उल्लंघन कर जीपीएफ ट्रस्ट के 2631.20 करोड़ रूपये और सीपीएफ ट्रस्ट के 1491.50 करोड़ रूपये दागी कम्पनी डीएचएफएल में जमा किये गये थे.
उन्होंने बताया कि बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा धन निकासी पर रोक लगाये जाने के बाद इनमें से जीपीएफ ट्रस्ट के 1445.70 करोड़ रूपये और सीपीएफ ट्रस्ट के 822.20 करोड़ रूपये डूब गये हैं. यह तमाम धनराशि नियमों का उल्लंघन कर मात्र 7.75 प्रतिशत ब्याज दर पर दागी कम्पनी में लगायी गयी जो ब्याज दर राष्ट्रीयकृत बैंकों से भी कम है. उन्होंने कहा कि ऐसे में इस घोटाले के मुख्य आरोपी पावर कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन आलोक कुमार तथा उनके अन्य सहयोगी आईएएस अधिकारियों को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाना जरूरी है, ताकि घोटाले की तह तक पहुंचा जा सके.
एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार कार्य बहिष्कार को देखते हुए सभी जिलों में संवेदनशील स्थानों की समीक्षा कर वहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं. निर्देश में यह भी कहा गया है कि अगर कोई कर्मी तोड़ फोड़ करता है या अन्य कार्मिकों को कार्य बहिष्कार के लिये उकसाता है, तो उसके विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए. गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने इस सिलसिले में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को निर्देश भेजे हैं. ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि बिजली कर्मचारी हमारे परिवार के सदस्य जैसे हैं. हमारी कोशिश है कि कर्मचारियों और उनके परिवारों को कोई परेशानी नहीं हो. उन्होंने कर्मचारियों के विरोध- प्रदर्शन को राजनीति से प्रेरित बताया.
Source : Bhasha