बाबरी मस्जिद के स्थान पर बनने वाली मस्जिद का खाका आज सामने रखा जाएगा. अयोध्या में मस्जिद बनाने को लेकर इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की आज बैठक होगी. ट्रस्ट की बैठक के बाद शाम 4.30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मस्जिद की डिजाइन का खुलासा किया जाएगा. इस बैठक में ट्रस्ट के सदस्यों के अलावा आर्किटेक्ट्स भी शामिल होंगे. जो सदस्य व्यक्तिगत तौर पर लखनऊ नहीं आ पाएंगे, वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में शामिल होंगे.
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आवंटित पांच एकड़ जमीन पर इस मस्जिद की आधारशिला गणतंत्र दिवस पर रखी जाएगी. मस्जिद का नाम तय किया जा चुका है. मस्जिद का नाम धन्नीपुर मस्जिद रखा गया है. इसमें कहीं भी बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं होगा. मस्जिद किसी शासक के नाम पर नहीं होगी. इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के सचिव अतहर हुसैन ने बताया, 'ट्रस्ट ने 26 जनवरी 2021 को अयोध्या मस्जिद की आधारशिला रखने का फैसला किया है क्योंकि सात दशक पहले इसी दिन हमारा संविधान अस्तित्व में आया था. हमारा संविधान बहुलवाद पर आधारित है जो कि हमारी मस्जिद परियोजना का मूलमंत्र है.'
अतहर हुसैन ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण के लिए 6 महीने पहले आईआईसीएफ का गठन किया था. परियोजना के मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एस एम अख्तर ने इसे अंतिम रूप दे दिया है, जिसके बाद आईआईसीएफ ने 19 दिसंबर को यानी आज मस्जिद परिसर का खाका सार्वजनिक करने का फैसला किया है. इस परिसर में एक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, एक सामुदायिक रसोई और एक पुस्तकालय होगा. अख्तर की मानें तो मस्जिद में एक समय में 2,000 लोग नमाज अदा कर सकेंगे और इसका ढांचा गोलाकार होगा.
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आईआईसीएफ के सचिव अतहर हुसैन के मुताबिक, नयी मस्जिद बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी, लेकिन उसी तरह का ढांचा नहीं होगा. परिसर के मध्य में अस्पताल होगा. पैगंबर ने 1400 साल पहले जो सीख दी थी उसी भावना के अनुरूप मानवता की सेवा की जाएगी. अस्पताल महज कंक्रीट का ढांचा नहीं होगा बल्कि मस्जिद की वास्तुकला के अनुरूप इसे तैयार किया जाएगा. इसमें 300 बेड की स्पेशलिटी इकाई होगी जहां डॉक्टर बीमार लोगों का मुफ्त इलाज करेंगे.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 नवंबर को अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था और केंद्र को मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन मुहैया कराने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार ने अयोध्या की सोहावाल तहसील के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन आवंटित की थी. ‘कार सेवकों’ ने 1992 में दिसंबर में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था. उनका दावा था कि अयोध्या में मस्जिद को प्राचीन राम मंदिर के स्थान पर बनाया गया था.
Source : News Nation Bureau