मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति का असर पीसीएस अधिकारियों से लेकर जिले स्तर तक के अधिकारियों और कर्मचारियों पर दिख रहा है. इसी के तहत मुरादनगर की घटना में भी ईओडब्ल्यू (आर्थिक अनुसंधान शाखा) की एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) से जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं. भ्रष्टाचार को लेकर पौने तीन साल में योगी सरकार ने 21 सौ से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ न सिर्फ कार्यवाही की है, बल्कि सलाखों के पीछे भी भेजा है.
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प्रदेश में साल 2017 से 2019 तक अभियोजन विभाग ने 1648 भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ न्यायालयों में पैरवी कर कार्यवाही कराई है. ट्रैप के 42.85 फीसदी और नान ट्रैप के 12.5 फीसदी मामलों सजा भी दिलाई गई. 2017 के शुरूआत में 578 वाद लंबित थे. जबकि 2017 में रंगेहाथ घूस लेते 38, नान ट्रैप में 14 और पांच अन्य अफसरों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया. ऐसे ही वर्ष 2018 में घूस लेते हुए रंगेहाथ 390 और नान ट्रैप में 130 अफसरों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था. 2019 में रंगेहाथ घूस लेते 835 और नान ट्रैप में 241 अफसरों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया. 2019 में रंगेहाथ घूस लेने पर 26.47 फीसदी और नान ट्रैप पर 25 फीसदी अफसरों और कर्मचारियों को सजा दिलाई गई है.
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दो सालों में 480 दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी कार्यवाही
नियुक्ति विभाग ने एक अप्रैल 2017 से अब तक 50 पीसीएस अधिकारियों पर कठोर दंडात्मक और 44 पीसीएस अफसरों पर लघु दंडात्मक कार्यवाही की है. पुलिस विभाग ने भ्रष्टाचार की शिकायत पर पिछले दो सालों 2019 और 2020 में 480 दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है, जिसमें 45 मामलों में मुकदमे किए गए और तीन को पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया गया. इसके अलावा 68 पुलिस कर्मियों को परिनिंदा प्रवृष्टि आदि से दंडित भी किया गया.
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लोगों से दुर्व्यवहार पर 429 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही
योगी सरकार में लोगों से दुर्व्यवहार करने पर भी कार्यवाही की गई है. पिछले दो सालों में 429 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है. इसमें 14 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और दो पुलिस कर्मियों को बर्खास्त भी किया गया है. इसके अलावा 106 पुलिस कर्मियों को परिनिंदा प्रवृष्टि आदि दंड से दंडित किया गया.
Source : News Nation Bureau