इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को बालिगों के हित पर बड़ा फैसला दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बालिग लड़का व लड़की अपनी मर्जी से जहां, जिसके साथ रहना चाहें रह सकते हैं. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने रेशमा देवी व अन्य की याचिका को सिरे से खारिज कर दिया.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए बालिग बालक व बालिका को फिलहाल परिवार के किसी भी सदस्य के उन्हें परेशान करने से एवं जीवन स्वतंत्रता हस्तक्षेप करने से रोकने का आदेश देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि याची उसे परेशान करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कर सकती है.
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कोर्ट ने कहा कि याची का कहना था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और अपने पति के साथ रह रही है. उसके परिवार वाले उसे परेशान कर रहे हैं. अपर महाधिनक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने याचिका को यह कहते हुए खारिज करने की मांग की कि याची ने छह सितंबर 2019 को शादी की तो उस समय वह नाबालिग थी. नाबालिग को संरक्षण देने का अधिकार माता-पिता को है. किंतु कोर्ट ने कहा कि याची वर्तमान समय में 28 वर्ष से अधिक आयु की है और बालिग है.उसे अपनी मर्जी से जहां चाहे रहने का अधिकार है.
Source : News Nation Bureau