शहीदों की सरजमीं मेरठ शुरू से ही सांप्रदायिक सौहार्द्र (Communal Harmony) की एकता का मिसाल है. मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भी लोग एकता का संदेश देते हुए जीवन यापन करते हैं. ऐसे ही मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नजीर पेश करते हुए एकता की मिसाल कायम की है. शहर के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में रहने वाले कायस्थ धर्मशाला के पुजारी रमेश माथुर की बीमारी के बाद हुई मौत में मुसलिम समुदाय (Muslim Community) के लोगों ने अर्थी को ना केवल कंधा दिया, बल्कि शोकाकुल परिवार का ढांढ़स भी बंधवाया. राम नाम सत्य है भी बोला. सूरज कुंड स्मशान घाट पहुंचकर कपालक्रिया तक साथ रहे. बता दें कि 68 वर्षीय रमेश माथुर कायस्थ धमर्शाला में अपनी पत्नी रेखा के साथ रहते थे. रमेश धर्मशाला की देखरेख करने के साथ ही वहां स्थित चित्रगुप्त जी मंदिर में पूजा-अर्चना भी करते थे. रमेश माथुर के दोनों बेटे नोएडा व दिल्ली में नौकरी करते हैं.
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माथुर परिवार में विलाप सुनकर पड़ोसी अकील मियां पहुंचे
पूर्णबंदी के चलते पिता की मौत की खबर के बाद भी बड़ा बेटा नहीं आ सका. आज देर शाम प्रशासन से इजाजत मिलने के बाद वह अपने घर पहुंचेगा. पिता के निधन से पत्नी और बेटा असहाय हो गये. चंद्रमौली ने अपने पिता के निधन की सूचना अपने रिश्तेदारों व दोस्तों को दी. लेकिन पूर्णबंदी से बेटे के दो दोस्त व करीब के तीन-चार रिश्तेदार ही इकट्ठे हुए. माथुर परिवार में विलाप सुनकर पड़ोसी अकील मियां वहां पहुंचे. कुछ ही देर में रमेश माथुर के न रहने की खबर के बाद मुसलिम समुदाय के लोग धर्मशाला में जमा हो गए. मुसलिम समाज की महिलाओं ने भी माथुर के घर जाकर उनकी पत्नी रेखा का ढांढ़स बंधाया.
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माथुर के घर जाकर उनके बेटे को दिलासा दी
पूर्व सभासद हिफ्जुर्रहमान ने भी माथुर के घर जाकर उनके बेटे को दिलासा दी. बाद में अकील मियां अपने कुछ लोगों के साथ अर्थी का सामान लेने गंगा मोटर कमेटी गए. मुसलिम समुदाय के लोगों ने अर्थी तैयार की. माथुर की शवयात्रा में चलने वाले हिंदू-मुसलिम सभी लोग राम नाम सत्य है का उदघोष भी कर रहे थे. सूरजकुंड पर रमेश माथुर के छोटे बेटे चंद्रमौली ने मुखाग्नि दी. चंद्रमौली ने कहा कि हमारे आसपास काफी संख्या में मुसलिम समुदाय के लोग यहां रहते हैं. हम और वह हर दुख-सुख में साथ-साथ होते हैं. चंद्रमौली ने कहा कि अकील चाचा हों या अनवर चाचा सभी को हम परिवार की तरह मानते हैं.