Advertisment

गोशाला के गोबर से वर्मी कंपोस्ट के बाद अब गोरखनाथ मन्दिर में चढ़ावे के फूलों से बनेगी अगरबत्ती 

हर चीज उपयोगी होती है. उपयोग हो तो वेस्ट को भी वेल्थ बनाया जा सकता है. यही नहीं ऐसी हर पहल स्थानीय स्तर पर लोगों के लिये रोजगार का जरिया बनने के साथ पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होती है. 

author-image
Sushil Kumar
एडिट
New Update
अगरबत्ती बनातीं महिलाएं

अगरबत्ती बनातीं महिलाएं( Photo Credit : न्यूज नेशन)

हर चीज उपयोगी होती है. उपयोग हो तो वेस्ट को भी वेल्थ बनाया जा सकता है. यही नहीं ऐसी हर पहल स्थानीय स्तर पर लोगों के लिये रोजगार का जरिया बनने के साथ पर्यावरण के लिए भी उपयोगी होती है. प्रकृति से प्रेम करने वाले और पर्यावरण संरक्षण के प्रति बहुत पहले से प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर इस बात को न केवल कहते हैं बल्कि जीते भी हैं. गोरखनाथ मन्दिर में चढ़ावे के फूलों से अगरबत्ती बनवाने के पहले भी वह वहां ऐसे नायाब प्रयोग कर चुके हैं.

Advertisment

पहल एक संदेश अनेक

अब चढ़ावे के फूलों का उपयोग करवाकर उन्होंने एक साथ पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भारत और मिशन शक्ति और मिशन रोजगार का एक साथ सन्देश दिया है. गोरखनाथ मन्दिर का शुमार उत्तर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में होता है. वहां हर रोज लगभग चार से पांच हजार श्रद्धालु आते हैं. शनिवार और मंगलवार को यह संख्या बढ़ जाती है. मकर संक्रांति से लगने वाले एक महीने के मेले के दौरान तो यह संख्या लाखों में होती है. स्वाभाविक रूप से हर श्रद्धालु मन्दिर में गुरुगोरक्षनाथ सहित अन्य देवी देवताओं को अपनी श्रद्धा के अनुसार फूल भी अर्पित करता है.

मंदिर में गुरु श्रीगोरक्षनाथ के अलावा हिंदू धर्म से जुड़े सभी देवी-देवताओं के मंदिर हैं. इनका माला रोज बदला जाता है. कुछ बड़ी मालाएं गुरु श्रीगोरक्षनाथ के लिये आती हैं. बाकी अन्य देवी देवताओं के लिए. कुल मिलाकर मन्दिर प्रशासन की रोज की अपनी खपत करीब 100 से 150 बड़ी मालाओं की है. बाकी आने वाले श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार फूल या माला लेकर आते हैं. अब चढ़ावे के बाद बेकार हो जाने वाले ये फूल अगरबत्ती के रूप में लोगों के घर-आंगन और उपासना स्थल पर अपनी सुंगध बिखेरेंगे.

Advertisment

मंदिर की गोशाला में गोबर से बनता है वर्मी कम्पोस्ट

मसलन मन्दिर की गोशाला में देशी नस्ल के करीब 500 गोवंश हैं. इनके गोबर का उपयोग करने के लिए लगभग पांच साल से वर्मी कंपोस्ट की इकाई लगी है. इसी दौरान मन्दिर परिसर में जहां-जहां जलजमाव होता था वहां पर टैंक बनवाकर वह जलसंरक्षण का भी सन्देश दे चुके हैं. 

करीब ढाई दशकों से गोरखनाथ मन्दिर से जुड़े विनय गौतम का कहना है कि कुछ नया और नायाब करना महराज जी (योगी आदित्यनाथ) का शगल है. सांसद थे तब भी और अब मुख्यमंत्री के रूप में भी. अगर यह नवाचार खेतीबाड़ी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति हो तो उसे वे और शिद्दत से करते हैं. मंदिर में चढ़ाए गये फूलों से अगरबत्ती बनाने की पहल इसी की कड़ी है.

Advertisment

Source : News Nation Bureau

gorakhnath mandir gorakhnath Yogi Adityanath Uttar Pradesh
Advertisment
Advertisment