आगरा में स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों डगमगाई हुई हैं. कारण है एक तरफ मरीजों की बढ़ती संख्या और दूसरी तरफ चिकत्सकों की भारी कमी, आगरा में जिला अस्पताल के हालात इन दिनों बेहद नासाज है. आंकड़ों की मानें तो इस समय जिला अस्पताल में 50% चिकत्सकों की कमी है. यहां कम से कम 50 से 60 के बीच डॉक्टर होने चाहिए मगर वर्तमान में यहां 26 डॉक्टर ही तैनात हैं. जो ज्यादा से ज्यादा समय मरीजों की देखरेख में गुजारते हैं. वहीं, अगर एक नजर मरीजों की ओपीडी पर नजर डालें, तो जहां कभी एक दिन में 400 से 500 मरीज आते थे. वहां अब प्रतिदिन ओपीडी (OPD) में 2700 से 2850 पर्चे काटे जा रहे हैं. ऐसे में डॉक्टरों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.
क्या कहते हैं सीएमओ
आगरा जिला अस्पताल प्रमुख अधीक्षक डॉ. एके अग्रवाल (DR AK Agrawal) का कहना है कि फिलहाल ओपीडी (OPD) में प्रत्येक चिकित्सक 250 से 300 मरीज प्रतिदिन देख रहा है. मरीजों की संख्या बढ़ रही है, इधर चिकित्सकों की संख्या कम होती जा रही है. जिला अस्पताल में चिकित्सक मानक से 50 फीसदी से भी कम रह गए हैं. मरीजों की संख्या 50 गुना से भी अधिक बढ़ गई है. जिला अस्पताल (District Hospital) के नौ विभागों में चिकित्सकों के 43 पद हैं लेकिन महज 17 चिकित्सक तैनात हैं. 26 पद खाली हैं. इस समस्या को लेकर जिला अस्पताल के द्वारा तमाम बार उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया. मगर समस्या अभी भी बरकरार है.
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यूपी में डॉक्टरों की भारी कमी
आगरा का जिला अस्पताल इन दिनों स्वयं वेंटिलेटर पर चल रहा है. यहां एक तरफ जहां ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है. तो वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. जिसका खामियाजा यहां आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organazation) की अनुशंसा के मुताबिक वर्ष 2024 तक देश में प्रति हजार जनसंख्या पर एक चिकित्सक होना चाहिए. उत्तर प्रदेश में 3692 मरीजों पर एक ऐलापैथी चिकित्सक पंजीकृत है.
HIGHLIGHTS
- आगरा जिला अस्पताल की हालत खराब
- मानक से बेहद कम है डॉक्टरों की संख्या
- ओपीडी में हर दिन आते हैं सैकड़ों मरीज