आगरा: इस बार घरों में विराजेंगे गोबर से बने इको फ्रेंडली गणपति, खरीदरों की लगी भीड़

आगरा नगर निगम कार्यालय में स्टॉल लगाकर भगवान गणेश की प्रतिमाओं की बिक्री शुरू कर दी,

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Mohit Saxena
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आगरा में इस बार घरों में विराजेंगे गोबर से बने इको फ्रेंडली गणपति. पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए आगरा नगर निगम की सकारात्मक पहल, नगर निगम ने लगाई स्टॉल, गोबर से बने गणपति की खूबसूरती देख लोगों की लग रही भीड़, घरों में स्थापना के बाद गाय के गोबर से बने गणेश प्रतिमा आसानी से विसर्जित हो सकेंगे. आगरा नगर निगम कार्यालय में स्टॉल लगाकर भगवान गणेश की प्रतिमाओं की बिक्री शुरू कर दी गई   है. यहां पर नौ से 18 इंच लंबी मूर्तियों की बिक्री किफायती रेटों पर की जा रही है. 

नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने शहर में गोमय उत्पाद के प्रचार प्रसार हेतु निगम कार्यालय में स्थायी गोमय उत्पाद की स्टॉल को स्थापित कराया है. अमूमन गणेश भक्त पीओपी की प्रतिमाओं को प्रतिष्ठापित कर घरों,   मंदिरों और पांडालों में पूजा-अर्चना करते हैं. गणेश चतुर्थी के उपरांत इन प्रतिमाओं का विसर्जन यमुना में किया जाता है. इससे यमुना का जल तो प्रदूषित होता ही है साथ ही प्लास्टर ऑफ पेरिस के घुलनशील न होने के  कारण पीओपी नटियों के प्रवाह को भी प्रभावित करता है. लेकिन इन गाय के गोबर से बनी गणेश प्रतिमाओं    को आसानी से बिना प्रदूषण के विसर्जित कर सकते हैं.  

प्रदूषण की रोकथाम में कारगर 

प्रबंधक बलवीर सिंह के अनुसार, गाय के गोबर में मुल्तानी मिट्टी को मिक्स कर अलग-अलग आकार के सांचे में  गणेश जी को तैयार किया जाता है. यह मूर्तिया जब सूख जाती है, तो उसमें अलग-अलग तरह के रंग भरे जाते हैं. उसे सजाने की कोशिश होती है. खास बात है कि गणेश जी की मूर्तियों में तुलसी और अश्वगंधा के बीच भी मिलाए जाते हैं. बलवीर सिंह के अनुसार गाय के गोबर से निर्मित भगवान गणेश की प्रतिमाएं इको फ्रेंडली होती है. इन प्रतिमाओं के पूजन के बाद आप इसे अपने घर के गार्डन या गमले में विसर्जित कर सकते हैं. इन प्रतिमाओं को जलाशय में करने की भी जरूरत नहीं है. ये प्रतिमाएं विसर्जन के बाद भी वातावरण को प्रदूषित करती हैं.   

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