उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों में आरोप प्रत्यारोप तेज हो गया है. आज यानि शुक्रवार को आगरा में चुनाव प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीख तंज कसा है. सपा अध्यक्ष ने ‘गर्मी उतारने’ वाले बयान को लेकर योगी आदित्यनाथ को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि क्या हमारे मुख्यमंत्री कंप्रेसर हैं जो गर्मी निकाल देंगे? साथ ही अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोगों ने देखा कि मुख्यमंत्री सदन में कहते हैं कि ठोक दो. अखिलेश ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री दरअसल जनता से कह रहे हैं कि हमारी गर्मी निकाल दो, हम उत्तराखंड वापस जाना चाहते हैं. अखिलेश यादव ने बजट और कोरोना पर भी योगी और मोदी सरकार पर निशाना साधा.
अखिलेश यादव चुनाव प्रचार कि सिलसिले में शुक्रवार को राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी के साथ आगरा पहुंचे. यहां उन्होंने जयंत के साथ मीडिया से रूबरू हुए. अखिलेश ने कहा कि आगरा शहर मेलजोल का शहर है. यहां ऐसा मेलजोल है कि दाल में मोठ मिला दी. आगरा का पेठा और जलेबी का भी मेलजोल है. यहां का कारोबार हमें जोड़ता है. आगरा के लोग बांटने वाली राजनीति को पसंद नहीं करेंगे. अखिलेश ने कहा कि यह चुनाव संविधान बचाने का चुनाव है. उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन सर्वदलीय है, जिसमें सब तरह के लोग हमारे साथ हैं. उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि BJP के लोग बाबा साहब द्वारा दिए गए संविधान को खत्म करना चाहते हैं. अखिलेश ने कहा कि भाजपा ने किसानों की आय दोगुनी करने का झूठा वादा किया था.
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अखिलेश यादव ने बजट को लेकर भी बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, ‘भाजपा कहती है कि यह अमृत बजट है, तो क्या पहले जहर वाले बजट थे? उत्तर प्रदेश की जनता बुनियादी सवालों पर मतदान करेगी और मुख्यमंत्री को वापस उत्तराखंड भेजा जाएगा. जो नौजवान अपनी नौकरी के सवाल को लेकर सरकार के पास गया, सरकार ने उनको अपमानित किया. इस बार एक-एक यूथ अपने बूथ पर इस सरकार को ऐतिहासिक हार का सामना कराने जा रहा है.’
अखिलेश यादव कोरोना वायरस के चलते फैले संक्रमण से निपटने की तैयारी को लेकर भी योगी सरकार आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि जिस समय ऑक्सीजन की जरूरत थी, उस समय यह सरकार ऑक्सीजन तक नहीं दे पाई. अगर सरकार जागरूक होती और जनता के लिए काम करते तो सबसे पहले सूचना आगरा से ही आई थी. इसके बावजूद सरकार को जो तैयारी करनी चाहिए थी, अस्पतालों को जिस तरीके से तैयार करना चाहिए था वह नहीं की गई.