मोहम्मद फरमान नियाजी, इकलौता ऐसा शख्स है, जो मॉब-लिंचिंग का शिकार होने के बाद भी अपनी दुखद कहानी अपनी जुबानी सुनाने के लिए जिंदा बच गया. बरेली के एक मदरसे का छात्र नियाजी, दो दिन पहले अलीगढ़ से बरेली जा रहा था. इस दौरान राजघाट नारोरा स्टेशन से कुछ युवा ट्रेन में चढ़े और नियाजी की टोपी देखकर उस पर जातिवादी टिप्पणी करने लगे. इसके बाद उसे पीटने लगे.
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पीड़ित ने कहा, "उन्होंने मुझे लात मारी और मेरी टोपी को ट्रेन से बाहर फेंक दिया. उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए और मेरा चश्मा भी तोड़ दिया. यह देखकर कोई भी यात्री मुझे बचाने के लिए आगे नहीं आया. उनकी यातना तब तक जारी रही, जब तक मैंने अपने होश न खो दिए." जब उसे होश आया तो उसने खैर क्षेत्र के एक गांव के बाहरी इलाके में खुद को लेटा पाया. उसके आधार कार्ड की मदद से स्थानीय लोगों ने उसे बस से अलीगढ़ भेजा और वह अपने मदरसे में वापस आ गया.
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पीड़ित युवा ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला है, जिसमें उसने पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया है. इसके साथ ही उसने जवान पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है. एसपी (सिटी) अशोक कुमार ने कहा कि नियाजी द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
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अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (एएमयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. पूर्व अध्यक्ष ने कहा, "अगर लोगों को उनके पहनावे पर निशाना बनाया जाने लगे तो स्थिति बहुत गंभीर है और बिना देर किए इस पर कार्रवाई करने की जरूरत है."
मॉब-लिंचिंग पीड़ित आपबीती बयां करने को जिंदा बचा, मेरी टोपी देखकर करने लगे...
मोहम्मद फरमान नियाजी, इकलौता ऐसा शख्स है, जो मॉब-लिंचिंग का शिकार होने के बाद भी अपनी दुखद कहानी अपनी जुबानी सुनाने के लिए जिंदा बच गया.
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मोहम्मद फरमान नियाजी, इकलौता ऐसा शख्स है, जो मॉब-लिंचिंग का शिकार होने के बाद भी अपनी दुखद कहानी अपनी जुबानी सुनाने के लिए जिंदा बच गया. बरेली के एक मदरसे का छात्र नियाजी, दो दिन पहले अलीगढ़ से बरेली जा रहा था. इस दौरान राजघाट नारोरा स्टेशन से कुछ युवा ट्रेन में चढ़े और नियाजी की टोपी देखकर उस पर जातिवादी टिप्पणी करने लगे. इसके बाद उसे पीटने लगे.
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पीड़ित ने कहा, "उन्होंने मुझे लात मारी और मेरी टोपी को ट्रेन से बाहर फेंक दिया. उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए और मेरा चश्मा भी तोड़ दिया. यह देखकर कोई भी यात्री मुझे बचाने के लिए आगे नहीं आया. उनकी यातना तब तक जारी रही, जब तक मैंने अपने होश न खो दिए." जब उसे होश आया तो उसने खैर क्षेत्र के एक गांव के बाहरी इलाके में खुद को लेटा पाया. उसके आधार कार्ड की मदद से स्थानीय लोगों ने उसे बस से अलीगढ़ भेजा और वह अपने मदरसे में वापस आ गया.
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पीड़ित युवा ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला है, जिसमें उसने पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया है. इसके साथ ही उसने जवान पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है. एसपी (सिटी) अशोक कुमार ने कहा कि नियाजी द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
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अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (एएमयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. पूर्व अध्यक्ष ने कहा, "अगर लोगों को उनके पहनावे पर निशाना बनाया जाने लगे तो स्थिति बहुत गंभीर है और बिना देर किए इस पर कार्रवाई करने की जरूरत है."