इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द की अपने ही परिवार के 6 लोगों की हत्या के आरोपी की फांसी की सजा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने भाई सहित परिवार के छः लोगों की नृशंस हत्या के आरोपी की फांसी की सजा रद्द कर दी है. मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि  अभियोजन पक्ष अपराध साबित करने में विफल रहा है.

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Iftekhar Ahmed
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द की 6 लोगों की हत्या के आरोपी की फांसी की सजा( Photo Credit : File Photo)

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने भाई सहित परिवार के छः लोगों की नृशंस हत्या के आरोपी की फांसी की सजा रद्द कर दी है. मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि  अभियोजन पक्ष अपराध साबित करने में विफल रहा है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोपी को हत्या का दोषी करार देने के लिए पर्याप्त नहीं है . इसके साथ ही कोर्ट ने जेल में बंद आरोपी की फांसी की सजा की पुष्टि के लिए दाखिल रेफरेंस खारिज कर दिया, बल्कि आरोपी को हत्या के आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया है.

निचली अदालत से मिली थी मौत की सजा
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने इटावा के राम प्रताप उर्फ टिल्लू की जेल अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.
गौरतलब है कि इससे पहले सत्र अदालत ने इस मामले में आरोपी को मौत की सजा के साथ ही पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा भी सुनाई थी.

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आरोपी पर लगा था यह गंभीर आरोप
शिकायतकर्ता हेम सिंह की बहन विमला देवी की शादी सुरेश चंद्र यादव के साथ हुई थी. आरोपी सुरेश चंद्र यादव का भाई है, जो अपराधी किस्म का व्यक्ति हैं.  वह अपने भाई से अलग रहता है. उस पर आरोप लगाया गया था कि उसने अपनी सारी संपत्ति बेच डाली और अपने भाई, भाभी पर संपत्ति व पैसे देने के लिए दबाव डालने लगा. दोनों ने उसे समझाने का प्रयास किया, किंतु वह पैसे मांगता रहा. इसी बीच अविनाश की शादी तय हो गई. इससे वह नाराज हो गया और परिवार के  छः लोगों की हत्या कर दी. मामले की एफआईआर इकदिल थाने में दर्ज कराई गई थी. घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था. परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर सत्र अदालत ने हत्या का दोषी करार देते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन अब हाईकोर्ट ने कोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए कहा है कि अपराध संदेह से परे साबित किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोपी को हत्या का दोषी करार देने के लिए पर्याप्त नहीं है. 

Source : Manvendra Pratap Singh

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