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हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के आवंटियों को दी बड़ी राहत, कहा- सरकार का फैसला कानून के खिलाफ

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को शासनादेश को अवैध बताने के साथ उसे रद्द करते हुए गौतमबुद्धनगर में यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के आवंटियों को बड़ी राहत दी है.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court) ने गुरुवार को शासनादेश को अवैध बताने के साथ उसे रद्द करते हुए गौतमबुद्धनगर में यमुना एक्सप्रेस-वे (Yamuna Express way)  औद्योगिक विकास प्राधिकरण के आवंटियों को बड़ी राहत दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति वीसी दीक्षित की खंडपीठ ने मेसर्स शकुंतला एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी, जय प्रकाश एसोसिएट सहित 20 याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है.इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में 29 अगस्त 2014 के शासनादेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि गजराज सिंह केस का फैसला नोएडा व ग्रेटर नोएडा के अधिग्रहण पर ही लागू होगा. यह अन्य प्राधिकरणों के अधिग्रहण पर लागू नहीं होगा.

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किसानों को 64.70 फीसदी अधिक मुआवजा देने का फैसला लिया

राज्य सरकार ने 29 अगस्त 2014 के शासनादेश से गजराज सिंह केस के निर्देश अनुसार किसानों को 64.70 फीसदी अधिक मुआवजा देने का फैसला लिया है. कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण को किसानों के बढ़े हुए मुआवजे की भरपाई आवंटियों से करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला कानून के खिलाफ है. ऐसा करना उसके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं है. कानून के खिलाफ साम्य न्याय (इक्विटी) नहीं दी जा सकती. सरकार भी मनमानी नहीं कर सकती. कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की भूमि आवंटियों से अतिरिक्त धनराशि मांगने को अवैध बताया है.

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किसानों की अधिगृहीत भूमि का 64.70 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने गजराज सिंह केस में नोएडा अथॉरिटी को किसानों की अधिगृहीत भूमि का 64.70 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया था. जिसे सावित्री देवी केस में सुप्रीम कोर्ट ने सही मानते हुए कहा कि विशेष स्थिति में याचियों को राहत दी गई है. यह सामान्य समादेश नहीं है. इससे पहले राज्य सरकार ने सभी किसानों को अधिगृहीत भूमि का अतिरिक्त मुआवजा देना का शासनादेश जारी कर दिया. यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधकरण ने इसे स्वीकार करते हुए मुआवजे का भुगतान कर दिया. इसके बाद आवंटियों से इस राशि की मांग की. जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि यह पट्टा करार का उल्लंघन है.

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भाई-भतीजावाद नहीं कर सकती

कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो किसानों को अधिक मुआवजा दे सकती है. ऐसा करना गलत नहीं होगा, लेकिन यह मनमानी नहीं हो सकता. इसमें पिक एंड चूज की व्यवस्था नहीं हो सकती, वह भाई-भतीजावाद नहीं कर सकती. कानून के उपबंधों के आधीन वह ऐसा कर सकती है, लेकिन कानून के विपरीत नहीं.कोर्ट ने कहा कि सरकार की कोई नीति पहले हुए करार को बदल नहीं सकती. प्राधिकरण के CEO को प्रीमियम घटाने बढ़ाने का अधिकार होता है, लेकिन वह करार में बदलाव नहीं कर सकता. प्राधिकरण द्वारा आवंटियों से धनराशि नहीं मांगी जा सकती.

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