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'आरोप लगा बयान से पलटने वाली पीड़िता पर संक्षिप्त विचारण कार्यवाही का निर्देश'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता के बयान से पलटने और अभियोजन पक्ष का समर्थन न करने से अभियुक्त के छूटने के बढ़ते केसों को गंभीरता से लिया है.

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Deepak Pandey
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Photo Credit : File Photo)

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता के बयान से पलटने और अभियोजन पक्ष का समर्थन न करने से अभियुक्त के छूटने के बढ़ते केसों को गंभीरता से लिया है और ट्रायल कोर्ट को बयान पलट सह अभियुक्त के साथ शादीशुदा जीवन बिता रही पीड़िता के खिलाफ झूठा बयान देने का संक्षिप्त विचारण करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि दुराचार के आरोप लगने पर यदि पीड़िता को सरकार ने मुआवजा दिया हो तो उसकी वसूली की जाए. सभी सह अभियुक्तों को पीड़िता के बयान से जमानत पर छूटने की पैरिटी (समानता) के आधार पर याची की भी सशर्त जमानत मंजूर कर ली है और व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति पर रिहा करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जन्नत उर्फ उर्वेश की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि अक्सर ऐसे मामले कोर्ट में आ रहे हैं, जिसमें दुराचार पीड़िता के बयान से पलटने के कारण अभियुक्त छूट रहे हैं. यह कोर्ट कार्यवाही में खलल है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसी को झूठ बोल कर न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. अभियुक्त या पीड़ित किसी को भी न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करने की छूट नहीं दी जा सकती.

कोर्ट ने याची के मामले में भी पीड़िता पर संक्षिप्त कार्यवाही करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि पहचान परेड के बजाय सबूतों के आधार पर ट्रायल होना चाहिए, क्योंकि अभियोजन गवाह के पक्षद्रोही होने से अपराध के आरोपियों को बरी किया जा रहा है. कोर्ट में झूठ बोलने वाले गवाहों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

Source :

allahabad high court Allahabad High Court order alleged statement
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