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न्याय सिर्फ आरोपियों के लिए नहीं बल्कि पीड़ित के साथ भी होना चाहिए : HC

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 'न्याय केवल आरोपियों के लिए नहीं है, पीड़िता के साथ भी न्याय होना चाहिए' हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी सामूहिक बलात्कार के आरोपियों की ओर से दायर तीन याचिकाओं को खारिज करते हुए की.

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Deepak Pandey
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Allahabad High Court order( Photo Credit : File Photo)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 'न्याय केवल आरोपियों के लिए नहीं है, पीड़िता के साथ भी न्याय होना चाहिए' हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी सामूहिक बलात्कार के आरोपियों की ओर से दायर तीन याचिकाओं को खारिज करते हुए की. याचिकाओं में आरोपियों के खिलाफ दायर मुकदमे को झांसी जिले से किसी अन्य जिले में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी. जस्टिस अनिल कुमार ओझा ने विपिन तिवारी व अन्य याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यदि इस मामले को स्थानांतरित किया जाता है तो यह सामूहिक बलात्कार पीड़िता का अपमान होगा.

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जज ने कहा कि अगर मामला जिला झांसी से किसी अन्य जिले में स्थानांतरित किया जाता है तो यह पीड़िता, गवाहों, अभियोजन पक्ष और पूरे समाज के लिए असुविधाजनक होगा, क्योंकि मामला सामूहिक बलात्कार से संबंधित है. आवेदक विपिन तिवारी और रोहित पर आरोप है कि उन्होंने पीड़िता के साथ दुष्कर्म के दौरान मोबाइल पर वीडियो बना लिया. आवेदक शैलेंद्र नाथ पाठक पर आरोप है कि उसने पीड़ित से 1000 और 2000 रुपये लिए. आरोपियों ने मौजूदा स्थानांतरण याचिका दायर करते हुए कहा कि पीड़िता के पिता झांसी में पेशे से वकील हैं और इसलिए कोई भी अधिवक्ता जिला न्यायालय झांसी में आवेदकों की ओर से पेश होने के लिए तैयार नहीं है.

उन्होंने यह तर्क दिया कि आवेदकों को मुकदमा लड़ने के लिए अपनी पसंद के वकील को नियुक्त करने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन पीड़ित के पिता के प्रभाव के कारण आवेदकों को उस अवसर से वंचित किया जा रहा है. वहीं, विपक्षी वकील ने स्थानांतरण आवेदनों का विरोध करते हुए जिला न्यायालय झांसी में विभिन्न अधिवक्ताओं द्वारा आवेदक विपिन तिवारी और शैलेंद्रनाथ पाठक की ओर से दायर वकालतनामे की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया.

कोर्ट ने कहा कि यदि मामला झांसी से दूसरे जिलों में स्थानांतरित किया जाता है तो सामूहिक बलात्कार पीड़िता को दूसरे जिले की यात्रा करनी होगी, जिसके चलते अंततः पीड़िता को कठिनाई और मानसिक पीड़ा हो सकती है.

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कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इतना ही नहीं औपचारिक गवाहों को छोड़कर अन्य सभी गवाह जो झांसी के निवासी हैं, उन्हें दूसरे जिले की यात्रा करनी होगी, जहां मामले को स्थानांतरित किया जाएगा. न्याय केवल आरोपी के लिए नहीं है, पीड़ित के साथ भी न्याय होना चाहिए और वर्तमान मामले में पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया है. 

इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि आवेदकों को अपनी पसंद के वकील के माध्यम से केस लड़ने का पूरा अधिकार है. हालांकि, कोर्ट ने कहा जहां तक ​​पीड़िता के पिता, जो झांसी में एक वकील हैं, के प्रभाव का संबंध है, रिकॉर्ड पर इसका कोई सबूत नहीं.

Source : Manvendra Singh

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