इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4-5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म व गुप्तांग ब्लेड से काटने के आरोपी इशरत (18) को सत्र अदालत कानपुर नगर द्वारा सुनाई गई तीन साल की कैद की सजा को सही करार दिया है और आरोपी की जमानत निरस्त करते हुए अदालत में बची सजा भुगतने के लिए समर्पण करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त कामवासना के वशीभूत होकर अमानवीय गंभीर अपराध करने का दोषी है. उदारता बरतने का हकदार नहीं हैं. गवाहों के बयान व साक्ष्य से अपराध साबित हुआ है.
इलादाबाद होईकोर्ट ने सरकार द्वारा गंभीर अपराध की अपील न करना दुखद है तथा लोक अभियोजक की लापरवाही निंदनीय है. अभियुक्त ने जघन्य अपराध किया है. कोर्ट ने सीजेएम से कहा है कि यदि आरोपी समर्पण नहीं करता तो वह ऐक्शन ले. यह फैसला न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने सजा के खिलाफ आरोपी इशरत की अपील को खारिज करते हुए दिया है.
मालूम हो कि 19 नवंबर 88 को चमनगंज थाने में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी पड़ोसी के घर खेलने गई थी. तीन बजे गांव के लोग उसे खून से लथपथ घर लाए. वह बोलने की हालत में नहीं थी. अस्पताल में इलाज कराया गया. दुष्कर्म कर उसके गुप्तांग को ब्लेड से काटा गया था. ब्लेड खेत में घटना स्थल पर थी.
पुलिस विवेचना में पीड़िता के बयान पर गिरफ्तारी की गई और चार्जशीट दाखिल की गई. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने धारा 324 में तीन साल व धारा 354 में दो साल की सजा सुनाई, जिसे अपील में चुनौती दी गई थी. आरोपी ने स्वयं को नाबालिग बताते हुए उदारता बरतने की मांग की, लेकिन डॉक्टरों की जांच में वह बालिग पाया गया. कोर्ट ने अपराध साबित मानते हुए सजा की पुष्टि कर दी है.
Source : Manvendra Pratap Singh