काशी ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Masjid Controversy) को लेकर दाखिल याचिका पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रही. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने वाराणसी की अधीनस्थ अदालत द्वारा विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वे कराने के आदेश पर लगी रोक 31 अगस्त तक बढ़ा दी है. मामले की अगली सुनवाई अब 3 अगस्त को होगी. याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी व पुनीत गुप्ता ने बहस की. इनका कहना है कि वाराणसी की अदालत में विचाराधीन सिविल वाद में सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के अंतर्गत दाखिल अर्जी पहले तय की जानी चाहिए, इसके बाद मुकदमे की सुनवाई की जानी चाहिए. इस दौरान याची के अधिवक्ता ने कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के अंतर्गत 1947 की स्थिति बहाल रखने के कारण सिविल वाद ग्राह्य नहीं है.
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इस दौरान याची अधिवक्ता ने मूल वाद संख्या 62 सन 1936 भी प्रतिनिधि के रूप में दाखिल किया गया. जिसमें कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने के मुस्लिम अधिकारों को मान्यता दी गई है. इनका यह भी कहना था कि विवादित स्थल वक्फ संपत्ति है. वक्फ संपत्ति हमेशा के लिए वक्फ की मानी जाती है. समय की कमी के चलते सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. मामले में अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी.
HIGHLIGHTS
- मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी के सिविल वाद की ग्राह्यता पर उठाए सवाल
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब 3 अगस्त को होगी मामले की अगली सुनवाई
- पुरातात्विक सर्वे कराने के आदेश पर लगी रोक 31 अगस्त तक बढ़ाई गई
Source : Manvendra Pratap Singh