इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला था साहसिक, जिसने देश हिला दिया : सीजेआई

यह बड़े साहस का निर्णय था, जिसके बारे में कहा जा सकता है कि इसका सीधा परिणाम हुआ कि आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी थी.

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Nihar Saxena
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी बताया बेहद दयालु.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला था साहसिक, जिसने देश हिला दिया : सीजेआई
इलाहाबाद
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना (NV Ramana) ने शनिवार को कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा के 1975 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को चुनावी कदाचार के लिए प्रधानमंत्री पद के अयोग्य घोषित करने के फैसले ने देश को झकझोर कर रख दिया था. यूपी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक नए भवन परिसर के शिलान्यास समारोह में सीजेआई ने कहा, 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा के फैसले ने देश को हिलाकर रख दिया था. उन्होंने इंदिरा गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया था.

साहसी निर्णय था इंदिरा गांधी के खिलाफ
रमना ने कहा, 'यह बड़े साहस का निर्णय था, जिसके बारे में कहा जा सकता है कि इसका सीधा परिणाम हुआ कि आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी थी.' सीजेआई ने जोर देकर कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का 150 से अधिक वर्षो का इतिहास है और बार और बेंच ने देश के कुछ महान कानूनी दिग्गजों का निर्माण किया है. उन्होंने कहा कि संविधान सभा के पहले अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा, पंडित मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू और पुरुषोत्तम दास टंडन सभी इलाहाबाद बार के सदस्य थे.

लंबित मामलों की संख्या चिंताजनक
उन्होंने कहा, 'इस बार ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और हमारे संविधान के प्रारूपण में एक अमिट छाप छोड़ी थी. मैं आपसे इस ऐतिहासिक बार की असाधारण विरासत, परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाने की उम्मीद करता हूं. मैं आप सभी से नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा का नेतृत्व करने का आग्रह करता हूं.' सीजेआई ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय में आपराधिक मामलों की बड़ी संख्या 'बहुत चिंताजनक' है.

बार और बेंच एक साथ करें काम
उन्होंने कहा, 'मैं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आपराधिक मामलों से संबंधित लंबित मामलों के बारे में कोई उंगली नहीं उठाना चाहता या कोई दोष नहीं देना चाहता, जो बहुत चिंताजनक है. मैं इलाहाबाद बार और बेंच से एक साथ काम करने और इस मुद्दे को हल करने में सहयोग करने का अनुरोध करता हूं.' सीजेआई ने कहा कि न्याय तक पहुंच बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करना राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का विचार था, जिसे अब लागू कर दिया गया है.

राष्ट्रपति का जताया आभार
उन्होंने कहा, 'जब भी हम मिलते हैं, वह (राष्ट्रपति) हमेशा मुझसे कानूनी बिरादरी के कल्याण के बारे में पूछते हैं. वह हमेशा वंचित लोगों के लिए कानूनी सहायता प्रणाली में सुधार करने के बारे में सोचते हैं. राष्ट्रपति ने मुझे लखनऊ और इलाहाबाद जाने के लिए कहा, वह बहुत दयालु हैं. उनके कार्यकाल के दौरान मैं इन दो ऐतिहासिक शहरों की मेरी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए बेहद आभारी हूं.'

HIGHLIGHTS

  • इलाहाबाद बार और बेंच से एक साथ मिल काम करें
  • इंदिरा गांधी पर निर्णय ने पूरे देश को झकझोरा था
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय का 150 से अधिक वर्षो का इतिहास
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