बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने पंजाब की राजनीति पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन के बाद पंजाब की जनता को बधाई दी है. मायावती ने अपने ऑफीशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा है कि, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन पंजाब में नई राजनीतिक और सामाजिक शुरुआत है. पंजाब की जनता को इन दोनों राजनीतिक दलों की ओर से इस ऐतिहासिक कदम के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. बसपा सुप्रीमो ने एक के बाद एक करके लगातार तीन ट्वीट किए.
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा, वैसे तो पंजाब में समाज का हर तबक़ा कांग्रेस पार्टी के शासन में यहां व्याप्त गरीबी, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी आदि से जूझ रहा है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार दलितों, किसानों, युवाओं व महिलाओं आदि पर पड़ रही है, जिससे मुक्ति पाने के लिए अपने इस गठबन्धन को कामयाब बनाना बहुत जरूरी. वहीं एक और ट्वीट करते हुए बसपा सुप्रीमो ने लिखा, इसके साथ ही, पंजाब की समस्त जनता से पुरज़ोर अपील है कि वे अकाली दल व बी.एस.पी. के बीच आज हुये इस ऐतिहासिक गठबन्धन को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए यहां सन् 2022 के प्रारम्भ में ही होने वाले विधानसभा आम चुनाव में इस गठबन्धन की सरकार बनवाने में पूरे जी-जान से अभी से ही जुट जाएं.
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आपको बता दें कि इसके पहले पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव की तैयारी को देखते हुए राज्य में सियासी दांवपेंच शुरू हो चुके हैं. चुनाव में जीत के लिए गठबंधन की जोर आजमाइश भी होने लगी है. सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को मात देने के लिए 25 साल के बाद शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी साथ आ गए हैं. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों दलों ने गठबंधन कर लिया है. दोनों दलों के बीच सीटों का भी बंटवारा हो गया है. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से 20 तक बसपा तो बाकी सीटों पर अकाली दल चुनाव लड़ेगा. बसपा के सहारे अकाली दल ने जहां पंजाब के कैप्टन को मात देने की प्लानिंग बनाई है तो वहीं बसपा भी अकाली दल के साथ पंजाब की सियासी जमीन अपने जगह तलाश करने की कोशिश में हैं.
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25 साल पहले गठबंधन में किया था शानदार प्रदर्शन
25 साल पहले दोनों दलों ने लोकसभा के चुनाव में गठबंधन किया था, जिसके नतीजे भी शानदार रहे थे. गठबंधन ने पंजाब की 13 में से 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसी के मद्देनजर एक बार फिर दोनों दल साथ आ गए हैं, जो सीधे कांग्रेस के मात देने का दम भर रहे हैं. हालांकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अकाली दल का पंजाब में अपना एक अलग वोट बैंक तो बसपा के पास भी अपना जातीय वोटर है, जो सीधे तौर पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. ऐसे में अब अकाली दल और बसपा गठबंधन के बाद एक नजर पंजाब के राजनीतिक समीकरण और वोटबैंक भी डालते हैं.
ऐसा है पंजाब का जातीय समीकरण
पंजाब के राज्य का हिस्सा तीन भागों में बंटा है. माझा , मालवा और दोआब. इन इलाकों में सभी प्रमुख जिले आते हैं. माझा में अमृतसर, पठानकोट, गुरदासपुर, तरनतारण जिले आते हैं. वहीं मालवा में जालंधर, पटियाला, मोहाली, भठिंडा, बरनाला, कपूरथला आदि जिले अहम हैं. दोआब में फिरोजपुर, फाजिल्का, मानसा, रूपनगर, लुधियाना, पटियाला, मोहाली, बरनाला जिले अहम हैं. पंजाब में कुल कुल 57.69 फीसदी सिख, 38.59 फीसदी हिंदू, 1.9 फीसदी मुस्लिम, 1.3 ईसाई, अन्य में जैन और बुद्ध आदि हैं. 22 जिलों में से 18 जिलों में सिख बहुसंख्यक हैं. पंजाब में लगभग दो करोड़ वोटर हैं.
HIGHLIGHTS
- पंजाब में विधानसभा चुनाव की तैयारी में सियासी दल
- बसपा ने 25 साल बाद शिअद से किया गठबंधन
- बसपा प्रमुख मायावती ने पंजाब के लोगों को दी बधाई