उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी लेने का धंधा पुराना है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से बड़ा खुलासा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग (Health Department) में नियुक्ति को लेकर फर्जीवाड़ा की गई है. जांच में दोषी पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ओपी तिवारी ने सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग में फर्जी ढंग से नियुक्ति पाकर नौकरी कर रहे 64 लोगों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ओपी तिवारी ने शासन के आदेश पर बर्खास्त कर दिया है. सीएमओ ने बताया कि विभिन्न जिलों में तैनात इन कर्मचारियों को हटाने के लिए संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को लिखा गया है.
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शासन ने तत्काल सभी को बर्खास्त करने का आदेश दिया
बताया जा रहा है कि फर्जी आधार पर नौकरी कर रहे इन कर्मचारियों के खिलाफ जांच पिछले 18 वर्षों से चल रही थी. 10 जून 2020 को आर्थिक अपराध शाखा, वाराणसी ने जब अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी. तो शासन ने तत्काल सभी को बर्खास्त करने का आदेश दिया. बता दें कि 1996 से 1998 के बीच स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी के पद पर 64 लोगों की नियुक्ति हुई थी. सभी को लगातार वेतन भी दिया जा रहा था. इनमें से कई का प्रमोशन भी हो गया था और वे लिपिक बन गए थे.
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2010 के बाद बेसिक में हुईं सभी भर्तियों की जांच करें
वहीं दूसरी तरफ लगभग 4 हजार शिक्षकों को फर्जी डिग्री (Fake Degree) के आधार पर सरकारी नौकरी मिली थी. उत्तर प्रदेश की आगरा यूनिवर्सिटी की 2004-05 बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षकों को बेसिक में नौकरी मिल गई थी. जुलाई 2018 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव (बेसिक) प्रभात कुमार ने जिलाधिकारियों से कहा था कि वे एडीएम की अगुआई में कमिटी बनाकर 2010 के बाद बेसिक में हुईं सभी भर्तियों की जांच करें.
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बेसिक विभाग ने वसूली की दी नोटिस
वहीं 2.25 लाख से अधिक पद जांच के दायरे में थे. फर्जीवाड़े की जांच बाद में एसआईटी (SIT) को दे दी गई थी. जांच के आधार पर अब तक 1701 शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है. इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने सख्ती करनी शुरू कर दी. फर्जी डिग्री से जिसने भी नौकरी ली थी, सबको विभाग ने वसूली का नोटिस दे दिया है. शिक्षकों ने सरकार से जो भी वेतन या दूसरे मदों में भत्ते लिए हैं, उन सबकी वसूली शिक्षकों से ही हो रही है.